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Delhi High Court ने शख्स को नाबालिग बेटे की कस्टडी पूर्व पत्नी को लौटाने का निर्देश दिया

जब किसी पेरेंट का तलाक होता है तो बच्चों को बहुत परेशानी होती है. तब अदालत देखती है कि बच्चे की कस्टडी किसे दी जाए माता को या पिता को कुछ ऐसे ही मामले पर सुनवाई चल रही थी दिल्ली हाई कोर्ट में.

Delhi High Court

Written by My Lord Team |Published : April 20, 2023 12:37 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को तलाक के समय लिए गए आपसी फैसले के अनुसार, अपने नौ साल के बेटे की कस्टडी अपनी पूर्व पत्नी को लौटाने का निर्देश दिया है. न्यूज एजेंसी IANS के अनुसार, वह व्यक्ति कुछ समय साथ बिताने के बहाने बच्चे को उसकी मां से दूर ले गया था. महिला ने अपने पूर्व पति से बच्चे की कस्टडी लेने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है.

जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और गौरांग कांठ की खंडपीठ ने महिला की ओर से व्यक्त की गई आशंका के मद्देनजर, संबंधित पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी (एसएचओ) को भी निर्देश दिया कि वे अदालत के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें और किसी भी कठिनाई के मामले में संपर्क करने के लिए महिला को अपना टेलीफोन नंबर प्रदान करें ताकि वह संपर्क कर सके.

पीठ ने कहा कि प्रतिवादी संख्या 2 (पुरुष) को कानून के अनुसार, नाबालिग बेटे की कस्टडी की मांग करने के लिए उचित कार्यवाही दायर करने की स्वतंत्रता आरक्षित है, नाबालिग बेटे को उसकी मां (याचिकाकर्ता) की देखभाल और उसे अपने पास रखने का अधिकार बहाल किया जाता है.

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हाईकोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपसी सहमति से तलाक के समय, पूर्व युगल ने अपने नाबालिग बेटे की हिरासत और मुलाकात के संबंध में एक कानूनी और बाध्यकारी व्यवस्था की थी.

अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि नाबालिग बेटे की हिरासत/मुलाकात के संबंध में नियमों और शर्तों का 18 मार्च 2023 तक पक्षों द्वारा अनुपालन किया गया है. इसके बाद प्रतिवादी नंबर 2 (पुरुष) नाबालिग बच्चे को अपने साथ दिन बिताने का झांसा देकर ले गया.

महिला का दावा है कि पिछले महीने जब वह पैरेंट-टीचर मीटिंग के लिए अपने बेटे के स्कूल गई थी तो उसका पूर्व पति भी वहां मौजूद था. याचिका में कहा गया है कि व्यक्ति ने कहा कि वह बेटे के साथ दिन बिताना चाहता है, और याचिकाकर्ता ने उसके अनुरोध अच्छे विश्वास के साथ स्वीकार कर लिया.

हालांकि, वह व्यक्ति बाद में अपने वादे से पीछे हट गया और महिला को बेटा वापस देने से इनकार कर दिया. अदालत के सामने पुरुष का यह कहना था कि महिला अपने बेटे की देखभाल करने के लिए अयोग्य थी और इसलिए वह नाबालिग की कस्टडी लेने के लिए विवश था.

हाईकोर्ट ने कहा कि महिला ने पक्षों के बीच हुए समझौते के नियमों और शर्तों के अनुसार अपने दायित्वों का पालन करने का वचन दिया.