रोहिणी जिला अदालत ने दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज करने और दादरी, यूपी के तहसीलदार से दिल्ली की पहली ट्रांसजेंडर पार्षद बॉबी किन्नर (Delhi First's Transgender Councilor) को जारी किए गए जाति प्रमाण पत्र के संबंध में दो रिपोर्टों के पीछे की कहानी की जांच करने का निर्देश दिया.
यह शिकायत वरुणा देवी ने दर्ज कराई थी, जो बॉबी के खिलाफ एमसीडी चुनाव हार गई थीं. उन्होंने आरोप लगाया है कि बॉबी ने मार्च 2017 में गौतमबुद्ध नगर, यूपी से कथित रूप से जारी किए गए जाली/फर्जी जाति प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करके दिल्ली से एक नया जाति प्रमाण पत्र जारी करवाया और सुल्तानपुरी वार्ड सीट से एमसीडी चुनाव में अपना नामांकन दाखिल किया, जो एससी समुदाय की महिला के लिए आरक्षित थी. सुनवाई के दौरान, यूपी से जाति प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में विरोधाभासी रिपोर्ट रिकॉर्ड में रखी गईं.
रोहिणी जिला अदालत में न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) सान्या दलाल ने आदेश में कहा,
"अब यह ध्यान देने योग्य है कि एक ही प्रमाण पत्र के संबंध में एक ही कार्यालय, अर्थात तहसीलदार के कार्यालय द्वारा दो रिपोर्ट प्रस्तुत की गई हैं और वे पूरी तरह से विरोधाभासी प्रकृति की हैं."
अदालत ने कहा,
"लेखपाल, राजस्व अधिकारी द्वारा दायर रिपोर्ट, सहायक हलफनामे के साथ दायर की गई है और जांच अधिकारी की रिपोर्ट के समान ही, उक्त रिपोर्ट पर भी अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है."
फैसले में कहा गया कि अदालत का मानना है कि एक ही कार्यालय की दो अलग-अलग रिपोर्टों के पीछे की पूरी कहानी को उजागर करने के लिए मामले की विस्तृत जांच की आवश्यकता है, साथ ही प्रथम दृष्टया मामला संज्ञेय अपराध प्रतीत होता है,
अदालत ने वरुणा देवी द्वारा दायर आवेदन को स्वीकार कर लिया, एसएचओ सुल्तानपुरी को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया और कहा,
"उपरोक्त के मद्देनजर, विचाराधीन आवेदन को स्वीकार किया जाता है और संबंधित एसएचओ को शिकायत में उल्लिखित धाराओं से प्रभावित हुए बिना कानून की उचित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने और जांच करने और जांच के बाद उचित रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है."
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह आदेश एसएचओ को आरोपी को तुरंत गिरफ्तार करने का निर्देश नहीं है. अदालत ने कहा कि पुलिस को पहले मामले की जांच करनी चाहिए और पता लगाना चाहिए कि वास्तव में कोई अपराध हुआ है या नहीं.
शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप हैं कि 3 मार्च, 2017 को गौतमबुद्ध नगर जिले के तहसीलदार से अवैध रूप से एक झूठा जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया गया था और उसी के 5 दिनों के भीतर, दिल्ली के एक अधिकारी से दूसरा जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया था.
शिकायतकर्ता का आरोप है कि दूसरा जाति प्रमाण पत्र एक झूठे/फर्जी दस्तावेज पर जारी किया गया है. इसके समर्थन में, शिकायतकर्ता ने लेखपाल की रिपोर्ट और वर्तमान शिकायत की सामग्री पर भरोसा किया है, जिसे एक हलफनामे के साथ दायर किया गया है.
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को तय की है.