नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में एक बेहद अजीब मामला सामने आया है। यह मामला एक 85-वर्षीय शख्स का है जिसे 1984 में दोषी ठहराया गया था और इसे एक साल की सजा सुनाई गई थी। अब, लगभग 39 साल बाद इस व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी जमानत प्रस्तुत की है, जानिए कि आखिर मामला क्या था।
समाचार एजेंसी पीटीआई (PTI) के अनुसार, 85-वर्षीय विरेंद्र सिंह (Virendra Singh) अपनी जमानत की याचिका लेकर आए हैं। बता दें कि विरेंद्र सिंह को 1984 में निचली अदालत (Trial Court) ने एक मामले में एक साल की सजा सुनाई थी जिसकी जमानत की अर्जी वो सुप्रीम कोर्ट में लेकर आए हैं।
मामला दरअसल यह है कि एक 85-वर्षीय इस शख्स को 7 अक्टूबर, 1981 में मिलावटी दूध बेचते हुए पकड़ा गया था जिसके बाद निचली अदालत ने उन्हें 29 सितंबर, 1984 को एक साल की सजा सुनाई थी और दो हजार रुपये जुर्माना भी लगाया था। यह सजा 'खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954' (The Prevention of Food Adulteration Act, 1954) के तहत सुनाई गई थी।
विरेंद्र सिंह ने बुलंदशहर सत्र न्यायालय (Bulandshahr Sessions Court) में इस ऑर्डर को चुनौती दी थी और 14 जुलाई, 1987 को सत्र न्यायालय ने निचली अदालत के ऑर्डर को कायम (uphold) रखा था।
इसके बाद उन्होंने 28 जुलाई, 1987 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) में ऑर्डर को चुनौती दी और उन्होंने 30 जनवरी, 2013 को उनकी सजा और जुर्माने के ऑर्डर को कायम रखा लेकिन सजा एक साल से कम करके छह महीने कर दी।
1984 की सजा और 2023 में जाकर किया सरेंडर
आपको जानकर हैरानी होगी, पीटीआई के हिसाब से करीब चार दशकों तक बेल पर रहने के बाद, विरेंद्र सिंह ने 20 अप्रैल, 2023 को जाकर निचली अदालत के सामने सरेंडर किया और हाई कोर्ट के आदेश के लगभग दस साल बाद अपना दो हजार रुपये का जुर्माना भरा। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया।
बता दें कि विरेंद्र सिंह की याचिका को अब 8 जून, 2023 को, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose) और न्यायाधीश राजेश बिंदल (Justice Rajesh Bindal) की अवकाशकालीन पीठ सुनेगी।
विरेंद्र सिंह की याचिका को उनके वकील, सतीश कुमार ने अर्जेंट लिस्टिंग के तहत फाइल किया है क्योंकि याचिकाकर्ता का यह दावा है कि उन्हें कई बीमारियां हैं जिनमें अस्थमा भी शामिल है।
इस समय भी विरेंद्र सिंह बुलंदशहर की जेल में हैं और जेल अस्पताल में उनका इलाज भी चल रहा है।
विरेंद्र सिंह का दावा है कि वो एक बस कन्डक्टर थे और अपने गांव किर्यवाली से कल्याणपुर कुछ धार्मिक रस्मों के लिए दूध लेने गए थे और जब वापस लौट रहे थे, उन्हें फूड इन्स्पेक्टर एच सी गुप्ता ने पकड़ लिया और उनपर मिलावट वाला दूध बेचने का इल्जाम लगा दिया गया।