Contempt of Court: पूरे देश को ठगा गया, हम इंतजार करते रहें कि केन्द्र अब कार्रवाई करेगा, ऐसा कहकर सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के आयुर्वेदिक दवाओं के विज्ञापन को भ्रामक बताते हुए रोक लगाया था. पतंजलि के संस्थापकों, बाबा रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अदालत की अवमानना का नोटिस भी जारी किया था. दोनों की तरफ से नोटिस का कोई जबाव नहीं पाते हुए कोर्ट ने दोनों संस्थापकों को अदालत के सामने हाजिर होने के आदेश दिए हैं. आइये जानते हैं कि आज की सुनवाई में क्या हुआ है…
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने इस मामले को सुना. कोर्ट ने पाया कि वादी ने ड्रग एंड रेमीडिस एक्ट की धारा 3 और 4 के उल्लंघन के लिए प्रथम दृष्टतया अपराध पाया गया है.
सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने पतंजलि का पक्ष रखा. रोहतगी ने कहा. नियमों का उल्लंघन कोर्ट की अवमानना नहीं है. सीनियर एडवोकेट की बात पूरी होने से पहले ही कोर्ट ने मामले को अगले सुनवाई के लिए बढ़ा दिया है.
कोर्ट ने पतंजलि के खिलाफ सख्त आदेश दिया है. आदेश के अनुसार, पतंजलि अपने किसी भी औषधीय उत्पाद का विज्ञापन या प्रचार नहीं कर सकती है. विज्ञापनों पर रोक लगाने के साथ ही कोर्ट ने पतंजलि के संस्थापकों बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को पिछले आदेशों की अनदेखी करने पर कोर्ट की अवमानना का नोटिस भी जारी किया है. आचार्य बालकृष्ण पतंजलि के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) हैं.
IMA ने पतंजलि के विज्ञापनों को भ्रामक बताने के साथ बाबा रामदेव द्वारा बीपी (Blood Pressure) की समस्या को दूर करने से जुड़े एक सम्मेलमन में एलोपैथी के खिलाफ झूठे दावे किए जाने का आरोप लगाया. सुप्रीम कोर्ट ने IMA के दावों को सही पाते हुए और पतंजलि द्वारा बार-बार की जा रही अनदेखी पर सख्त कार्रवाई हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले आदेश में पतंजलि आयुर्वेद को भविष्य में इस तरह के झूठे दावे विज्ञापनों से नहीं करने और और मीडिया में इन दावों से बचने का निर्देश दिया था.