नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें उसने एक होटल के सैलून में गलत तरीके से बाल काटने पर एक मॉडल को हुई पीड़ा एवं आय की हानि के एवज में दो करोड़ रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया था.
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने आईटीसी लिमिटेड की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. आईटीसी लिमिटेड ने याचिका के जरिए राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा लगाए गए 2 करोड़ के मुआवजें के आदेश को चुनौती दी थी.
मामले में शिकायतकर्ता और पेशे से मॉडल आशना रॉय ने 12 अप्रैल 2018 आईटीसी मौर्य के सैलून में अपने बालों के ट्रीटमेंट के लिए गई थीं. जिसके बाद मॉडल ने आयोग में गलत ट्रीटमेंट के लिए शिकायत दायर की. शिकायत में दावा किया गया कि सैलून द्वारा उनके द्वारा दिए गए निर्देश से उलट गलत बाल काटने के कारण उसे अपने काम से हाथ धोना पड़ा और आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा, जिससे उनका रहन-सहन तो बदला ही टॉप मॉडल बनने का सपना भी टूट गया.
शिकायत में मॉडल ने दावा किया था कि वह बालों के ही प्रोडक्ट के लिए मॉडलिंग करती थीं. इस वजह से उनके लंबे बाल उनके करियर की पहचान थे. वह अपने लंबे बालों के कारण बालों के उत्पादों की मॉडल थीं और उन्हें बड़े बालों की देखभाल करने वाले ब्रांडों के लिए मॉडलिंग के कई ऑफर्स मिलते थे.
मॉडल ने इस मामले में आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराते हुए दावा किया कि सैलून की गलती की वजह से उसे मिले मॉडलिंग के कई ऑफर्स निकल गए और उनका करियर ख़त्म हो गया. मॉडल ने इस मामले में खराब हेयर कट की वजह से उनका उनका मॉडल बनने के सपना भी टूटने और भविष्य में हुए नुकसान के लिए तीन करोड़ रुपये मुआवजा दिलाने का अनुरोध किया.
24 सितंबर 2021 को इस मामले पर आयोग ने फैसला सुनाते हुए मॉडल को हुए नुकसान के बदले में दो करोड़ मुआवजा देने के आदेश दिए.
आयोग के इस फैसले के खिलाफ ITC मौर्या ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी विशेष अनुमति याचिका में कहा गया कि इस मामले में आयोग ने प्रतिवादी हो हुए नुकसान को लेकर गलत आंकलन किया गया है. क्योकि मॉडल ने अपने करियर को लेकर हुए नुकसान के पक्ष में किसी तरह का भौतिक दस्तावेज पेश नहीं किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में सुनवाई के दौरान प्रतिवादी मॉडल को 12 अप्रैल 2018 को बाल कटाने से पहले अतीत में किए विज्ञापन एवं मॉडलिंग से जुड़े अपने काम दिखाने या वर्तमान एवं भविष्य में उसके किसी भी ब्रांड के साथ किए करार पेश करने को कहा था. लेकिन प्रतिवादी मॉडल इस मामले में किसी प्रकार का जवाब पेश नही कर पायी.
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने अपने फैसले में केहा कि आयोग के आदेश के अवलोकन से हमें मुआवजे की मात्रा निर्धारित करने के लिए किसी भी भौतिक साक्ष्य पर चर्चा या संदर्भ नहीं मिलता है.
पीठ ने आगे कहा कि अदालत ने मॉडल आशना रॉय से बार-बार अनुरोध किया कि जब उसने 12 अप्रैल 2018 को बाल कटाए थे, उस समय वह अपनी नौकरी के सबंध में आयोग के समक्ष रखी गई सामग्री के बारे में जानकारी दे.
पीठ ने मॉडल रॉय से अतीत में किए विज्ञापन एवं मॉडलिंग से जुड़े अपने काम दिखाने या वर्तमान एवं भविष्य में उसके किसी भी ब्रांड के साथ किए करार पेश करने को कहा था, ताकि उसे हुए संभावित नुकसान का आकलन किया जा सके.
आयोग के 2 करोड़ के मुआवजे को अत्यधिक असंगत बताते हुए पीठ ने अपने फैसले में कहा कि प्रतिवादी आशना रॉय पीठ के सवालों के संबंध में जवाब देने में पूरी तरह विफल रही है.