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Coaching Centre Death Case: दिल्ली कोर्ट ने चार मालिकों को जमानत देने से किया इंकार, कहा- जांच प्रारंभिक चरण में है

Coaching Centre Death Case: Rouse Avenue Court में चीफ डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज अंजू बजाज चांदना ने चारों आरोपियों की मांग पर सुनवाई की. अदालत ने Regular Bail देने से मना करते हुए कहा कि जांच प्रारंभिक चरण में है और ऐसे में सबूतों से छेड़छाड़ होने की आशंका के चलते आरोपियों को जमानत देने पर विचार नहीं किया जा सकता है.

राउज एवेन्यू कोर्ट (पिक क्रेडिट:ANI)

Written by Satyam Kumar |Published : August 24, 2024 9:18 AM IST

राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को बेसमेंट के चार सह-मालिकों की जमानत याचिका खारिज कर दी है. अदालत ने कहा कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में हैं, सबूतों से छेड़छाड़ करने का डर है, इसलिए अभी जमानत देना सही नहीं है. बहस के दौरान मौजूद सीबीआई के वकील ने भी आरोपी की जमानत का विरोध किया है. सुनवाई के दौरान इस बात पर भी जोर रहा कि बेसमेंट किस लिए दिया गया था? बता दें कि इन आरोपियों को 28 जुलाई के दिन गिरफ्तार किया गया था. आइये जानते हैं कि राउज एवेन्यू कोर्ट में क्या बहस हुई...

जांच प्रारंभिक चरण में हैं, जमानत नहीं दी जा सकती: राउज एवेन्यू कोर्ट

राउज एवेन्यू कोर्ट में चीफ डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज अंजू बजाज चांदना ने चारों आरोपियों की मांग पर सुनवाई की. अदालत ने नियमित जमानत की मांग खारिज करते हुए कहा कि जांच प्रारंभिक चरण में है और ऐसे में सबूतों से छेड़छाड़ होने के चलते आरोपियों को जमानत देने पर विचार नहीं किया जा सकता है. अदालत ने 17 अगस्त के दिन बेसमेंट के चार सह-मालिकों की जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था, जिसे अदालत ने आज सुनाया है.

ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई ने वकील ने जमानत याचिकाओं का विरोध इस आधार करते हुए कहा कि आरोपी को इसकी जानकारी थी. बेसमेंट कोचिंग संस्थान को स्टोरेज और परीक्षा हॉल के लिए दिया गया था.

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जवाब में आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि यदि नियमों का उल्लंघन हुआ था, तो एमसीडी को कार्रवाई करनी चाहिए थी. आरोपी व्यक्ति को इस बात की जानकारी नहीं थी कि ऐसी घटना हो सकती है.

बचाव पक्ष के वकील आमिर चड्ढा ने अपनी दलीलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया और कहा कि उन पर धारा 105 बीएनएस लागू नहीं होती, घटना के समय वे मौके पर मौजूद नहीं थे. उन्होंने आगे कहा कि यदि नियमों का उल्लंघन हुआ था, तो एमसीडी अधिकारियों को इसे सील कर देना चाहिए था.  मुझ पर एमसीडी कानूनों के तहत ही मुकदमा चलाया जा सकता है। वे भागेंगे नहीं। उनका पिछला रिकॉर्ड साफ है।

बहस के दौरान अदालत ने पूछा कि बेसमेंट कोचिंग के उद्देश्य से नहीं था. तो क्या आपको जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए?

जज ने पूछा, "मृत्यु का कारण क्या है?"

इस पर चड्ढा ने जवाब में कहा कि ऐसा खराब जल निकासी नालियाों की वजह से हुआ हैं.

जज ने पूछा कि आपने किराएदारों को प्रयोग में छूट दी थी?

चड्ढा ने कहा कि घटना का असली कारण जल निकासी नालियां है. सीबीआई ने एक बार भी इसका उल्लेख नहीं किया है. उच्च न्यायालय के आदेश में उल्लेख किया गया है कि वास्तविक कारण खराब जल निकासी नालियां हैं.

चड्ढा ने बहस जारी रखते हुए कहा  कि कोई सबूत नहीं है, तो किससे छेड़छाड़ की जाएगी? मुझसे (आरोपी से) जांच करने के लिए क्या बचा है?

जज ने पूछा कि सीबीआई बहस करने के लिए आगे क्यों नहीं आ रही है?

सीबीआई के वकील ने प्रस्तुत किया कि लीज डीड (Lease Deed) के अनुसार यह संपत्ति शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए नहीं है. बेसमेंट का उपयोग केवल स्टोरेज के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. यह बात उन्हे पता थी. सीबीआई के वकील ने तर्क दिया कि जलभराव ईश्वरीय कृत्य नहीं है. सामान्य सड़कें भी जलमग्न हो जाती हैं, ज्ञान को सीधे साबित नहीं किया जा सकता.

हालांकि अदालत ने आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया है.