मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) ने दिल्ली के रिज क्षेत्र में सैकड़ों पेड़ों की कथित अवैध कटाई से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. सीजेआई ने कहा कि वे दिल्ली के उपराज्यपाल के साथ NALSA के अध्यक्ष रहते पटना के जेलों की स्थिति देखने गए थे. अब सीजेआई संजीव खन्ना ने याचिकाओं को 27 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में उस पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया, जिसके सदस्य प्रधान न्यायाधीश नहीं हैं. इससे पहले, सेवानिवृत्त हो चुके तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा था. पीठ ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के कुछ अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का भी निर्देश दिया था.
रिटायर होने से पहले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ दिल्ली के रिज एरिया में पेड़ो की कटाई के मामले को सुन रही थी. उस पीठ में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे. सीजेआई के रिटायर होने के बाद जस्टिस संजीव खन्ना को तय करना था कि कौन-सी पीठ इस मामले को सुनेगी, जिससे सीजेआई संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) ने व्यक्तिगत कारणों से खुद को अलग कर लिया है.
"मैं एक बात बताना चाहूंगा कि राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) का अध्यक्ष रहते हुए मैं पटना गया था और दिल्ली के उपराज्यपाल के साथ वहां की जेलों का दौरा किया था. इसलिए, मेरे लिए याचिका पर सुनवाई करना उचित नहीं होगा...”
सात नवंबर को शीर्ष अदालत ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) से दिल्ली रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई से पूर्व की स्थिति बहाल करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा था. रिज क्षेत्र में कथित तौर पर कई सौ पेड़ अवैध रूप से काट दिए गए थे.
अदालत ने यह भी पूछा था कि प्राधिकारियों ने वहां कितना वृक्षारोपण किया है. पीठ ने पूछा था कि क्या लगाए गए पेड़ों की संख्या का पता लगाने के लिए कोई स्वतंत्र तंत्र मौजूद है. हालांकि, तत्कालीन सीजेआई चंद्रचूड़ के अंतिम कार्य दिवस 8 नवंबर को पीठ ने कोई आदेश पारित नहीं किया.
रिज दिल्ली में अरावली पर्वत श्रृंखला का विस्तार है और पठारी वन क्षेत्र है. प्रशासनिक कारणों से इसे चार क्षेत्रों - दक्षिण, दक्षिण-मध्य, मध्य और उत्तर - में विभाजित किया गया है. चारों का कुल क्षेत्रफल लगभग 7,784 हेक्टेयर है. पीठ उस याचिका पर विचार कर रही है जिसमें क्षेत्र में पेड़ों की कथित तौर पर अवैध कटाई के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.
अदालत ने पूछा,
‘‘आप रिज में पूर्व स्थिति बहाल करने के लिए क्या कर रहे हैं?‘हम जानना चाहते हैं कि कितने पेड़ काटे गए और रिज में पूर्व स्थिति बहाल करने तथा वनारोपण के लिए क्या किया जा रहा है.’’
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुल 1,670 पेड़ काटे गए। याचिकाकर्ता ने अधिकारियों पर अवमानना का आरोप लगाया है. हालांकि, डीडीए ने पहले कहा था कि काटे गए पेड़ों की संख्या 642 है.
शीर्ष अदालत ने संपर्क सड़क के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई को लेकर डीडीए उपाध्यक्ष को अवमानना नोटिस जारी किया था. पीठ ने कहा था कि रिज में 3,340 पेड़ लगाए जाने चाहिए और साथ ही काटे गए हर पेड़ की संख्या का 100 गुना पेड़ लगाया जाना चाहिए.