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EVM सत्यापन नीति बनाने की मांग, हरियाणा के पूर्व मंत्री की याचिका पर CJI संजीव खन्ना की पीठ करेगी सुनवाई

‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले यह अनिवार्य किया था कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद हर विधानसभा क्षेत्र में 5% ईवीएम का सत्यापन किया जाए. साथ ही सत्यापन प्रक्रिया दूसरे या तीसरे सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवारों के लिखित अनुरोध पर आयोजित की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट, ईवीएम और वीवीपैट

Written by My Lord Team |Published : January 24, 2025 3:55 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ हरियाणा के पूर्व मंत्री और पांच बार विधायक रह चुके करण सिंह दलाल द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के सत्यापन के लिए नीति बनाने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करेगी. मामला जब शुक्रवार को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया तो उसने कहा कि इस मामले को अन्य याचिकाओं के साथ चीफ जस्टिस के समक्ष रखा जाएगा. पीठ ने कहा कि यह मामला प्रधान न्यायाधीश की पीठ के समक्ष जा सकता है.

दलाल ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के सत्यापन के लिए नीति बनाने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. उन्होंने ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ बनाम भारत संघ मामले में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए पहले के फैसले का अनुपालन करने का अनुरोध किया है. सह-याचिकाकर्ता लखन कुमार सिंगला अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर रहे और उन्होंने निर्वाचन आयोग को ईवीएम के चार घटकों - कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट, वीवीपीएटी और सिंबल लोडिंग यूनिट, की मूल ‘‘बर्न मेमोरी’’ या ‘‘माइक्रोकंट्रोलर’’ की जांच के लिए प्रोटोकॉल लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के फैसले में यह अनिवार्य किया था कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच प्रतिशत ईवीएम का सत्यापन ईवीएम निर्माताओं के इंजीनियरों द्वारा किया जाना चाहिए. शीर्ष अदालत ने कहा कि सत्यापन प्रक्रिया दूसरे या तीसरे सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवारों के लिखित अनुरोध पर आयोजित की जाएगी. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि निर्वाचन आयोग ऐसी कोई नीति जारी करने में विफल रहा है, जिससे ‘बर्न मेमोरी’ सत्यापन की प्रक्रिया अस्पष्ट बनी हुई है. बर्न मेमोरी का मतलब प्रोग्रामिंग चरण पूरा होने के बाद मेमोरी (दर्ज आंकड़ों) को स्थायी रूप से ‘लॉक’ कर देना होता है. इससे उसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती.

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याचिका के अनुसार, निर्वाचन आयोग द्वारा जारी मौजूदा मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में केवल बुनियादी निदान परीक्षण और ‘मॉक पोल’ शामिल हैं. ईवीएम के निर्माता भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) के इंजीनियरों की भूमिका कथित तौर पर ‘‘मॉक पोल’’ के दौरान वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती तक ही सीमित है. याचिका में कहा गया है कि यह दृष्टिकोण मशीनों की गहन जांच को रोकता है. दलाल और सिंगला ने कहा कि उनकी याचिका ने चुनाव परिणामों को चुनौती नहीं दी, बल्कि ईवीएम सत्यापन के लिए एक मजबूत तंत्र का अनुरोध किया है. परिणामों को चुनौती देने वाली अलग-अलग चुनाव याचिकाएं पहले से ही पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं. याचिकाकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय से ईसीआई को आठ सप्ताह के भीतर सत्यापन अभ्यास करने का निर्देश देने का आग्रह किया है. हरियाणा में हाल में हुए चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 90 विधानसभा सीट में से 48 पर जीत दर्ज की थी.

(खबर पीटीआई इनपुट से है)