नई दिल्ली: CJI DY Chandrachud ने देश की न्यायपालिका पर वर्तमान में किसी भी तरह के दबाव को लेकर बड़ा बयान दिया है. सीजेआई ने कहा कि वर्तमान में न्यायपालिका पर कार्यपालिका का बिल्कुल भी दबाव नहीं है.
एक निजी टीवी चैनल से साक्षात्कार के दौरान बातचीत करते हुए देश के 50 वें मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड ने कहा कि न्यायपालिका पर दबाव का सवाल ही पैदा नहीं होता. सीजेआई ने कहा कि अगर ऐसा होता तो चुनाव आयोग वाला जजमेंट नही आता.
सीजेआई ने कहा अदालतों में सबसे बड़े पक्षकार के रूप में अपराध, रोजगार, बीमा सहित कई बिंदूओ में सरकार होती है.
सीजेआई ने कहा कि हम एक ऐसे समय जी रहे है जहां सार्वजनिक संस्थानो के प्रति लगातार अविश्वास बढ रहा है. बिल्कुल कोई मुद्दा नही है और हम लगातार सरकार को जवाबदेह बना रहे है.
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने कानूनमंत्री के साथ विवाद को लेकर कहा कि वह कानून मंत्री रिजिजू के विचारों का सम्मान करते हैं, लेकिन यह कदम कॉलेजियम के कामकाज में कथित अपारदर्शिता की आलोचना के जवाब में था.
सीजेआई ने कहा कि कानूनमंत्री की अपनी एक धारणा है, मेरी भी एक धारणा है. हमारे बीच मतभेद होना तय है. मैं उनकी धारणा का सम्मान करता हूं, लेकिन हम बहुत हद तक संवैधानिक राजनीति से निपटते हैं.
सीजेआई ने कहा कि हमने संकल्पों को सार्वजनिक किया है क्योंकि आलोचना है कि हमारे पास पारदर्शिता की कमी है.
सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका के भीतर भी मतभेद हैं, लेकिन हम सभी एक दूसरे का सम्मान करते है.
बहुचचिर्त दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता सौरभ कृपाल की नियुक्ति की सिफारिश के साथ आईबी रिपोर्ट सार्वजनिक करने के मामले पर सीजेआई ने कहा कि अधिवक्ता कृपाल के बारे में सभी जानते है कि वे गे है और अपनी पार्टनर के साथ रहते है.
सीजेआई ने कहा कि इस मामले में हमने आईबी की रिपोर्ट इसलिए सार्वजनिक की क्योकि यह रिपोर्ट उसी के संबंध में थी, जिसके चलते कॉलेजियम ने प्रतिकूल रिपोर्ट के बावजूद अपनी सिफारिश दोहराई थी.
सीजेआई ने कहा कि कॉलेजियम द्वारा जो रिपोर्ट सार्वजनिक की गई वह केवल एक उम्मीदवार के यौन अभिविन्यास के संबंध में थी और किसी के जीवन को खतरे में डालने वाली चीज नहीं थी.
सीजेआई ने कहा कि जिस उम्मीदवार का जिक्र किया जा रहा है, यह पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में था.
सोशल मीडिया पर ट्रोल किए जाने के सवाल के बारे में सीजेआई ने कहा कि वे ट्विटर पर फोलो नही करते है.
सीजेआई ने कहा कि सुनवाई के दौरान कई बार हम अधिवक्ता से बात करते है, चर्चा करते है या बहस करते है लेकिन हमारा अंतिम निर्णय अलग होता है.
सीजेआई ने कहा कि सोशलमीडिया इसे नहीं मानता है और वह सुनवाई के दौरान की टिप्पणियों को अंतिम फैसला बना देता है.
सीजेआई ने कहा कि वे इसे दोष नही देते है, क्योकि हमें एक और खुली प्रणाली की आवश्यक्ता है.