भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार को अपने उत्तराधिकारी के रूप में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की सिफारिश की है (CJI Chandrachud Recommends Justice Sanjiv Khanna as His Successor). जस्टिस खन्ना 11 नवंबर को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालेंगे. 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए जस्टिस संजीव खन्ना को ईवीएम के प्रयोग को बरकरार रखने और चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करने सहित महत्वपूर्ण फैसलों के लिए जाना जाता है.
देश के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर के दिन रिटायर होंगे. इसे लेकर सीजेआई ने तैयारी भी शुरू कर दी है. वहीं हालिया भूटान दौरे पर उन्होंने अपनी विरासत को लेकर चिंता भी जताई थी. उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के कुछ दिन बचें हैं और इन दिनों उनके मन में अपनी कार्यकाल को कई सवाल हैं. सीजेआई ने कहा था कि उन्हें चिंता सता रही है इतिहास उनके कार्यकाल को कैसे याद रखेगा. वहीं चली आ रही परंपरा के अनुसार कानून मंत्रालय चीफ जस्टिस के रिटायरमेंट से एक महीने पहले पत्र लिखती हैं जिसमें वर्तमान सीजेआई को अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करनी होती है.
न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने बुधवार को न्यायमूर्ति खन्ना को अपनी सिफारिश का पत्र सौंपा था. वर्तमान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट के बाद जस्टिस संजीव खन्ना 11 नवंबर को भारत के 51वें प्रधान न्यायाधीश बनेंगे. 18 जनवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए जस्टिस खन्ना 13 मई, 2025 को सेवानिवृत्त होंगे.
अगर न्यायमूर्ति खन्ना 11 नवंबर को 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण करते हैं, तो उनका कार्यकाल छह महीने से थोड़ा अधिक होगा और वे 13 मई, 2025 को पदमुक्त होंगे. जस्टिस खन्ना को 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया तथा 2006 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया है. 14 मई 1960 को जन्मे न्यायमूर्ति खन्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय के ‘कैम्पस लॉ सेंटर’ (CLC) से कानून की पढ़ाई की है.
सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति खन्ना के कुछ उल्लेखनीय निर्णयों में चुनावों में ईवीएम के उपयोग को बरकरार रखना शामिल है, जिसमें कहा गया है कि ये उपकरण सुरक्षित हैं और इनसे मतदान केंद्रों पर कब्जा कर फर्जी मतदान करने की आशंका समाप्त हो जाती है. वह पांच न्यायाधीशों की उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने राजनीतिक दलों को वित्त पोषण देने वाली चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित किया था. न्यायमूर्ति खन्ना पांच न्यायाधीशों की उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के 2019 के फैसले को बरकरार रखा था.