केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने सोमवार को आईआरसीटीसी होटल घोटाला मामले में 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए. सीबीआई के अनुसार, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव,के अलावा राज्यसभा सदस्य प्रेमचंद गुप्ता, उनकी पत्नी सरला गुप्ता, आईआरसीटीसी अधिकारियों, कोचर ब्रदर्स समेत कुल 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए हैं.
स्पेशल जज विशाल गोगने ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि मामले में भूमि और शेयर लेनदेन संभवतः रांची और पुरी में रेलवे के होटलों में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की आड़ में साठगांठ वाले पूंजीवाद का उदाहरण है. पूर्व रेल मंत्री लालू यादव के अलावा, जस्टिस ने प्रदीप कुमार गोयल, राकेश सक्सेना, भूपेंद्र कुमार अग्रवाल, राकेश कुमार गोगिया और विनोद कुमार अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) के साथ धारा 13(1)(डी)(दो) और (तीन) के तहत आरोप तय किए. धारा 13 (2) किसी लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार के लिए दंड से संबंधित है, तथा धारा 13 (1) (डी) (दो) और (तीन) किसी लोक सेवक द्वारा पक्षपात के लिए पद का दुरुपयोग करने से संबंधित है.
अदालत ने लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी, मेसर्स लारा प्रोजेक्ट्स एलएलपी, विजय कोचर, विनय कोचर, सरला गुप्ता और प्रेम चंद गुप्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत आरोप तय करने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि सभी (14) आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) और आईपीसी की धारा 420 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) और धारा 13(1)(डी)(दो) और (तीन) के तहत एक समान आरोप तय करने का निर्देश दिया जाता है. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अधिकतम सज़ा 10 साल है, जबकि धोखाधड़ी के लिए सात साल.
जज गोगने ने कहा कि अदालत प्रथमदृष्टया इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि जिस तरह से मेसर्स डीएमसीपीएल के शेयर राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रसाद यादव को कम मूल्य पर हस्तांतरित किए गए, वह गंभीर संदेह पैदा करता है. उन्होंने कहा कि कोई भी निजी लेनदेन, जिसमें हेरफेर और भ्रामक प्रतिफल प्रतिबिंबित हो, विशेषकर जहां प्रतिफल सामान्य बाजार मानदंडों से बहुत कम हो, वह बेईमानी और धोखाधड़ीपूर्ण कृत्य है, क्योंकि इससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि रांची और पुरी में रेलवे होटलों में निजी भागीदारी निजी कंपनियों द्वारा तत्कालीन मंत्री के साथ अपनी सांठगांठ बढ़ाने का एक तरीका था, जो मंत्री के सहायकों के माध्यम से उनकी पत्नी और बेटे को पटना में प्रमुख भूखंड ट्रांसफर करके किया गया था.
जज ने लेन-देन को प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी करार देते हुए कहा कि षड्यंत्र बड़ा हो सकता है, लेकिन अदालत की नज़र से पूरी तरह छिपा नहीं है. जज ने कहा कि 2005 से 2014 तक हुई धोखाधड़ी के अलग-अलग पहलू कई अन्य आरोपियों के बीच हुई बड़ी साजिश से आंतरिक रूप से जुड़े हुए थे. उन्होंने कहा कि इसलिए, इस स्तर पर अदालत के लिए न तो यह संभव है और न ही आवश्यक है कि वह उन बातों का खुलासा करे जिन्हें केवल साक्ष्यों के आधार पर ही अलग किया जा सकता है.
सीबीआई की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह मामला 5 जुलाई 2017 को दर्ज किया गया था. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री रहते हुए मेसर्स सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड (एसएचपीएल) के मालिक विजय कोचर और विनय कोचर सहित अन्य लोगों के साथ मिलकर आईआरसीटीसी के रांची और पुरी स्थित बीएनआर (बंगाल रेलवे नागपुर) होटलों की लीजिंग में अनियमितताएं कीं.
एजेंसी के अनुसार, लालू यादव ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए आईआरसीटीसी के कई अधिकारियों की मिलीभगत से कोचर ब्रदर्स को अनुचित लाभ पहुंचाया. इसके एवज में पटना स्थित एक कीमती भूमि को कोचर ब्रदर्स ने एक ऐसी कंपनी को बेच दिया जो लालू प्रसाद यादव के करीबी और राजद के राज्यसभा सदस्य प्रेमचंद गुप्ता से जुड़ी थी. यह जमीन मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (डीएमसीपीएल) के नाम से खरीदी गई थी, जिसे बाद में लारा प्रोजेक्ट्स एलएलपी के नाम से परिवर्तित कर दिया गया. यह कंपनी लालू परिवार के हित में संचालित की जा रही थी और अंततः इस संपत्ति का नियंत्रण राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रसाद यादव के हाथों में चला गया. सीबीआई ने अपनी जांच पूरी करने के बाद लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, प्रेमचंद गुप्ता और अन्य 10 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. सीबीआई की विशेष अदालत ने अब इस मामले में 27 अक्टूबर से 7 नवंबर तक प्रतिदिन सुनवाई करते हुए अभियोजन पक्ष के सबूतों की पेशी तय की है.