नई दिल्ली: समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता को लेकर दायर करीब 20 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्य संविधान पीठ सुनवाई कर रही है. CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हेमा कोहली, जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल है.
सुनवाई शुरू होने के साथ अदालत में आज सीजेआई और केन्द्र सरकार के एसजी तुषार मेहता के बीच दिलचस्प बहस भी देखने को मिली.
संविधान पीठ द्वारा मामले की सुनवाई करने के साथ एसजी तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि यह मामला समवर्ती सूची में है, इसलिए इसे पीठ के समक्ष दायर याचिकाओं पर पहले राज्यों का पक्ष भी जान लेना चाहिए,
मेहता ने कहा कि राज्यों का पक्ष जाने बिना इस मामले पर सुनवाई नहीं की जा सकती है और अब तक इस मामले में राज्यो को पक्षकार नही बनाया गया है.
तुषार मेहता ने याचिकाओं का विरोध करते हुए पीठ से कहा कि पहले याचिकाकर्ताओं से केन्द्र सरकार की ओर से दाखिल आपत्तियों पर जवाब मांगना चाहिए.
एसजी ने याचिकाकर्ताओं द्वारा केन्द्र की आपत्तियों पर जवाब देने तक सुनवाई स्थगित करने की बात कही. एसजी के इस दलील पर सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ स्पष्ट करते हुए कहा कि हम इस मामले को उसकी गंभीरता के अनुसार सुनवाई करेंगे.
सीजेआई ने बेहद सख्त शब्दों में कहा कि कुछ भी कर सकते है लेकिन सुनवाई स्थगित नहीं कर सकते.
एसजी तुषार मेहता द्वारा केन्द्र की ओर से पेश किए गए जवाब में कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए, क्योकि किन संबंधो को मान्यता देनी है या नही, यह एक सामाजिक प्रश्न है और इस मामले पर विचार करने के लिए संसद ही उचित मंच है और सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे से दूर रहना चाहिए.
एसजी की इस दलील पर सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने कहा कि हम किसी को यह अनुमति नही देंगे कि वह हमें बताए कि कौन से मामले की सुनवाई करनी है और किसकी नहीं.
सीजेआई ने आगे कहा कि हम पर भरोंसा रखे, इस मामले की व्यापक परिप्रेक्ष्य में सुनवाई की जाएगी