गुरूवार के दिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी अपराध में कथित संलिप्तता संपत्तियों को ध्वस्त करने का आधार नहीं है. शीर्ष अदालत ने गुजरात के एक नगर निकाय को आदेश दिया कि वह निर्माण को बनाए रखे और आरोपी को घर पर बुलडोजर चलाने की धमकी न दे. अदालत ने कहा कि ऐसे देश में जहां कानून सबसे ऊपर है, इस तरह ध्वस्त करने की धमकियां अकल्पनीय हैं.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ बुलडोजर एक्शन पर कार्रवाई करने पर रोक लगाई है. अदालत ने कहा कि ऐसे देश में जहां सरकार की कार्रवाई कानून के शासन द्वारा शासित होती है, परिवार के किसी सदस्य द्वारा किया गया अपराध परिवार के अन्य सदस्यों या उनके कानूनी तौर पर निर्मित घर पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा सकती. अपराध में कथित संलिप्तता किसी संपत्ति को ध्वस्त का आधार नहीं हो सकता है.
अदालत ने आगे कहा,
‘‘ कथित अपराध को अदालत में उचित कानूनी प्रक्रिया के सहारे साबित किया जाना चाहिए. जिस देश में कानून सर्वोच्च है, वहां ध्वस्त करने की ऐसी अल्कपनीय धमकियों को न्यायालय नजरअंदाज नहीं कर सकता. अन्यथा इस तरह की कार्रवाइयों को देश के कानून पर बुलडोजर चलाने के रूप में देखा जा सकता है.’’
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के नगर निगम को नोटिस जारी कर बुलडोजर चलाने की धमकी देने को लेकर जवाब मांगा है.
पीठ ने प्रस्तावित तोड़फोड़ की कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध करने वाली जावेद अली एम सैयद की याचिका पर गुजरात सरकार और राज्य के खेड़ा जिले के कठलाल के नगर निकाय को नोटिस जारी किया है. गुजरात राज्य और संबंधित नगर निकाय को अपना जवाब चार सप्ताह के भीतर देना है.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि एक सितंबर को परिवार के एक सदस्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. वकील ने दावा किया कि नगर निगम के अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के परिवार के घर पर बुलडोजर चलाने की धमकी दी है.
शीर्ष अदालत मामले की समीक्षा करने पर सहमत हुई और इसे एक महीने के बाद सूचीबद्ध किया है.