नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड़ ने कहा है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने आपातकाल के दौरान भी निडरता से स्वतंत्रता की भावना के पक्ष में खड़े रहकर भारतीय लोकतंत्र को बचाने में अहम भूमिका निभाई है.
सीजेआई ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र आज भी मजबूती से खड़ा है क्योकि बॉम्बे हाईकोर्ट और उसके जज निडरता से देश में तिरंगा फहराने और स्वतंत्रता की मशाल जलाए रखने के लिए आगे आए.
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड बॉम्बे हाईकोर्ट में आयोजित एक सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे. जो कि उनके देश के मुख्य न्यायाधीश बनने के सम्मान में आयोजित किया गया था.
समारोह को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा कि यह बॉम्बे हाई कोर्ट की स्वतंत्रता की निडर भावना थी जिसने 1975 में आपातकाल के दौरान भारतीय लोकतंत्र को बचाए रखा.
सीजेआई ने हाईकोर्ट के जजों को संबोधित करते हुए भी कहा कि "आप में से कई लोग, यहाँ जज के रूप में है और मेरे सामने पेश भी हुए हैं. मुझे यकीन है कि आप उन कई लोगों के सामने भी पेश हुए हैं जिनके बारे में मैंने बात की है. यह हमारे न्यायालय की स्वतंत्रता की एक निडर भावना थी जिसने 1975 में भारतीय लोकतंत्र को बचाया था, जब आपके पास जस्टिस आरएम कांतवाला या जस्टिस वीडी तुलजापुरकर रहे.
सीजेआई ने कहा कि ये वो जज थे जिन्होंने आपातकाल के दौरान भी कहा था कि बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका का प्रभाव तब भी होना चाहिए जब आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 21 को निलंबित कर दिया गया हो.
सीजेआई ने कहा कि वे "लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और डॉ बीआर अम्बेडकर से प्रभावित है जिनके चित्र हमेशा ही उन्हे प्रेरित करते है.
सीजेआई के अपने वकालत के दिनों को याद करते हुए सीजेआई ने कहा कि जब उन्हें किसी मामले के बारे में सोचने की जरूरत होती थी, तो वे आमतौर पर सेन्ट्रल कोर्ट की अंतिम पंक्ति में बैठकर इस बात पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि वे क्या बहस करने जा रहे हैं.