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जस्टिस गनेडीवाला के पेंशन पर Bombay HC का बड़ा फैसला, हाई कोर्ट के जजों के समान ही मिलेगा पेंशन

बॉम्बे हाई कोर्ट ने ने उनकी पेंशन से इनकार करने वाली पिछली अधिसूचना को रद्द करते हुए रजिस्ट्री को फरवरी 2022 से ब्याज के साथ उनकी पेंशन को जोड़कर देने का आदेश दिया है.

बॉम्बे हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : March 13, 2025 1:54 PM IST

आज बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुष्पा गनेडीवाला को हाई कोर्ट जजों के समान पेंशन का हकदार माना क्योंकि उन्होंने अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में काम किया था और उनकी पेंशन का दावा उनके कार्यकाल के दौरान की गई सेवाओं के आधार पर था. पूर्व जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला POCSO Act से जुड़े मुकदमे में अपने फैसले की वजह से चर्चा में आई. पुष्पा गनेडीवाला के विवादास्पद निर्णयों के कारण सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की सिफारिश वापस ले ली, जिससे उन्हें  फरवरी 2022 में जिला सत्र न्यायाधीश के रूप में पदावनत (Demote) किया गया था.

बॉम्बे हाई कोर्ट से राहत

चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस भारती डांगरे की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को नवंबर 2022 के संचार को रद्द कर दिया और कहा कि गनेडीवाला फरवरी 2022 से हाई कोर्ट की एडिशनल जज  के बराबर पेंशन पाने की हकदार हैं. अदालत ने फैसला सुनाया, ‘‘हम रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं कि आज से दो महीने के भीतर फरवरी 2022 से छह प्रतिशत ब्याज के साथ उनकी पेंशन तय की जाए.’’ जुलाई 2023 में अपनी याचिका दायर करते समय गनेडीवाला ने कहा था, मुझे कोई पेंशन नहीं मिल रही है. पेंशन देने से इनकार करने में प्रतिवादियों का पूरा दृष्टिकोण मनमाना है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने जज गणेडीवाला को राहत देते हुए समान पेंशन देने की मांग को स्वीकृति दे दी है.

गनेडीवाला ने समान पेंशन की मांग की

जुलाई 2023 में, गनेडीवाला ने हाई कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की, जिसमें उच्च न्यायालय (मूल पक्ष) के रजिस्ट्रार द्वारा दो नवंबर, 2022 को जारी एक सूचना पत्र को चुनौती दी गई, जिसमें घोषित किया गया था कि वह हाई कोर्ट की एक जज के रूप में पेंशन और अन्य लाभों के लिए पात्र/हकदार नहीं हैं. गनेडीवाला ने हाई कोर्ट के एडिशनल जज के रूप में पेंशन दिये जाने का अनुरोध करते हुए दलील दी थी कि ऐसा इस तथ्य पर ध्यान दिए बिना होना चाहिए कि वह स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हुई हैं या एक निश्चित आयु प्राप्त करने के बाद सेवानिवृत्त हुई हैं.  जस्टिस गनेडीवाला को 2019 में बम्बई हाई कोर्ट के एडिशनल जज के रूप में नियुक्त किया गया. गनेडीवाला ने अपनी याचिका में कहा कि जनवरी 2021 में शीर्ष अदालत ने स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए उनके आवेदन को मंजूरी दे दी थी, बाद में सिफारिश वापस ले ली गई. याचिका में दावा किया गया कि याचिकाकर्ता (गनेडीवाला) ने करीब तीन साल तक उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में काम किया. उन्होंने उच्च न्यायालय रजिस्ट्री में पेंशन के लिए आवेदन किया था. हालांकि, एक निर्णय लिया गया कि चूंकि गनेडीवाला उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त नहीं हुई थीं, इसलिए वह समान रैंक की पेंशन की हकदार नहीं थीं.

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POCSO Act में विवादित फैसला

पुष्पा गनेडीवाला को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) मामलों में कई विवादास्पद फैसलों को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ा था. गनेडीवाला को 12 फरवरी, 2022 को उनके हाई कोर्ट के एडिशनल जज के पद से कार्यकाल की अवधि पूरी होने पर जिला सत्र न्यायाधीश के रूप में पदावनत (Demoted) कर दिया गया था. पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन हमले की उनकी व्याख्या को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. गनेडीवाला अपने कई उन फैसलों के लिए सवालों के घेरे में आ गई थी, जिनमें कहा गया था कि पोक्सो अधिनियम के तहत यदि यौन संबंध बनाने के इरादे से त्वचा से त्वचा का संपर्क (Skin to Skin Touch) होता है तो उसे यौन हमला माना जाएगा और नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और किसी लड़के की पतलून की जिप खोलना इस अधिनियम के तहत यौन हमला नहीं है.