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मुंबई ट्रेन बम धमाके के दोषी ने परीक्षा में बैठने की मांगी अनुमति, Bombay High Court ने की खारिज

मुंबई ट्रेन बम ब्लास्ट केस में फैसला आने से पूर्व ही अंडर ट्रायल कैदी के रूप में सिद्दीकी ने मुंबई के सिद्धार्थ लॉ कॉलेज से एलएलबी का डिग्री कोर्स शुरू किया था. वर्ष 2015 में उसने 3 साल के एलएलबी कोर्स का पहला साल पूरा किया था. उसी वर्ष फैसला आने के बाद सिद्दीकी को नागपुर सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया था. अदालत ने सिद्दीकी को मौत की सजा सुनाई थी.

Written by Nizam Kantaliya |Published : February 1, 2023 10:54 AM IST

नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में 7/11 मुंबई ट्रेन बम ब्लास्ट के एक दोषी की ओर से परीक्षा में बैठने की अनुमति को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है.

परीक्षा के लिए याचिका दायर करने वाला याचिकाकर्ता एहतेशाम सिद्दीकी 11 जुलाई, 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों पर किए गए सिलसिलेवार सात सीरियल बम धमाकों के लिए दोषी ठहराए गए 5 लोगों में से एक है. महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत विशेष अदालत ने 2015 में सिद्दीकी को मौत की सजा सुनाई थी.

मुंबई के अलग अलग हिस्सों में हुए इन बम धमाकों में कुल 189 लोगों की जान गई थी और 800 से अधिक लोग घायल हुए थे. बाद में इस मामले में ट्रायल के बाद मुंबई की विशेष अदालत ने अन्य दोषियों के साथ एहतेशाम सिद्दीकी को बम ब्लास्ट करने और लोगों की हत्या करने के मामले में दोषी घोषित करते हुए मौत की सजा सुनाई थी.

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याचिकाकर्ता एहतेशाम सिद्दीकी की मौत की सजा को अब तक हाईकोर्ट द्वारा पुष्टि नहीं की गई है.

सरकार ने किया विरोध

याचिकाकर्ता एहतेशाम सिद्दीकी ने 2 फरवरी से आयोजित होने वाली एलएलबी के दूसरे वर्ष की परीक्षा में शामिल होने की अनुमति मांगी थी. राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक ने सुरक्षा कारणो का आधार बताते हुए सिद्दीकी के इस अनुरोध का विरोध किया.

सरकार की ओर से कहा गया कि चूंकि एलएलबी के दूसरे वर्ष की परीक्षा 2 फरवरी से होनी है, और इतने कम समय में जेल अधिकारियों के लिए एक एस्कॉर्ट के साथ ही सुरक्षा की व्यवस्था करना और उसे नागपुर से मुंबई लाना संभव नहीं होगा.

साथ ही सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता सिद्दीकी को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने से पहले पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) से अनुमति लेनी होगी.

सुरक्षा कारणों का हवाला

सरकारी अधिवक्ता ने इस संबंध में राज्य के गृह विभाग द्वारा 10 फरवरी, 2022 को जारी की गई अधिसूचना को भी अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसमें निर्देश दिया गया था कि कैदी पहले अपने अनुरोध के साथ डीआईजी के पास जाएगा.

सरकार की ओर से दिए गए सुरक्षा कारणों को उचित कारण मानते हुए जस्टिस नितिन साम्ब्रे और जस्टिस आरएन लड्डा की पीठ ने याचिकाकर्ता के अनुरोध को अस्वीकार करते हुए याचिका को खारिज करने के आदेश दिए.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि परीक्षा कल से होने वाली है, इसलिए जेल अधिकारियों के लिए संभव नहीं होगा कि वह एक एस्कॉर्ट की व्यवस्था करे और इतने कम समय में उसे नागपुर से मुंबई लाए.

विशेष लोक अभियोजक द्वारा पेश किए गए तर्क से सहमत होते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि अगर अगर जेल प्रशासन उसे अनुमति देते हैं, तो भी जेल अधिकारियों को एक एस्कॉर्ट की व्यवस्था करने और एक दिन के इतने कम समय में उसे नागपुर से मुंबई लाने में सुरक्षा के कई मामले पैदा होते है.

हाईकोर्ट ने इस मामले में मौत की सजा पाए याचिकाकर्ता सिद्दीकी को पहले जेल डीआईजी से संपर्क करने और उनके समक्ष उचित प्रतिवेदन पेश करने की प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया.

हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन को भी निर्देश दिए है कि वे अगले दौर की परीक्षा के लिए याचिकाकर्ता को मौका दे.

फैसले से पहले शुरू किया LLB का कोर्स

गौरतलब है कि अंडर ट्रायल कैदी के रूप में सिद्दीकी ने मुंबई के सिद्धार्थ लॉ कॉलेज से एलएलबी का डिग्री कोर्स शुरू किया था. वर्ष 2015 में उसने 3 साल के एलएलबी कोर्स का पहला साल पूरा किया था. फैसला आने के बाद सिद्दीकी को नागपुर सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया था.

एलएलबी के अधूरे पाठ्यक्रम को पूर्ण करने के लिए हाल ही में सिद्दीकी ने फिर से कॉलेज में परीक्षा के लिए आवेदन किया था. तीसरे सेमेस्टर की परीक्षाएं (द्वितीय वर्ष का पहला सेमेस्टर) 2 फरवरी से 8 फरवरी, 2023 तक निर्धारित की गई है.

परीक्षा में शामिल होने के लिए कॉलेज द्वारा अदालत की अनुमति के बगैर हॉल टिकट जारी करने से इंकार कर करने पर याचिकाकर्ता सिद्दीकी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अनुमति मांगी.