बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक आरोपी व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका रद्द कर दी. आरोपी व्यक्ति के खिलाफ कम से कम पांच महिलओं के साथ विवाह करने के आरोप हैं. इस मामले की सुनवाई जस्टिस सारांग वी कोटवाल ने की. जस्टिस ने मौजूद सबूतों के आधार पर गौर करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद है जिसकी वजह से इसे अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है.
शांतिलाल यशवंत खरात नामक एक व्यक्ति ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की मांग करते हुए याचिका दायर की. आरोपी ने अग्रिम जमानत की मांग रायगढ़ पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर (FIR) के खिलाफ मांगी, जो उसकी पत्नी ने दर्ज कराई थी.
एफआईआर में आरोपी की पत्नी ने बताया कि वह आरोपी से एक मेट्रिमोनियल साइट (Matrimonial Site) पर मिली. दो महीने के कम समय में ही उन्होंने शादी कर ली. शादी के बाद, पति (आरोपी) ने उससे 7 लाख रूपये की मदद मांगी. वहीं, उसके गहनों को गिरवी रख कर 32 लाख रूपये का लोन लिया है. कुछ दिनों बाद, आरोपी (पति) का उसके साथी (Colleague) के साथ अफेयर का पता चलने पर वह जनवरी, 2024 में अपने मायके चली गई. मायके में रहने के दौरान उसे पति के चार अन्य शादियों का पता चला, जिसकी रिपोर्ट उसने पुलिस में करवाई. पुलिस ने एफआईआर पर कार्रवाई करते हुए धोखाधड़ी, द्विविवाह और अपराधिक विश्वासघात सहित भारतीय दण्ड संहिता के भिन्न धाराओं के अंतर्गत में मामले को दर्ज कर लिया.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस द्वारा दिए साक्ष्यों पर गौर करते हुए पाया कि आरोपी ने ना सिर्फ दूसरी महिलाओं से शादी की है, उसके दो बच्चें भी है. कोर्ट ने कहा, ''मामले में इस बात को सिद्ध करने के लिए दो जन्म प्रमाण-पत्र (Birth Certificate) पेश किए गए है, जिसमें माताएं अलग है. वहीं, दोनों के पिता एक ही है." सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता (पति) द्वारा दो तलाक के कागजात दिए गए, जो साल, 2008 और 2018 से जुड़े है. इस पर कोर्ट ने कि याचिकाकर्ता ने इस बात को अपनी वर्तमान पत्नी से छिपाया है, जिससे धोखाधडी का मामला स्पष्ट बन रहा है. कोर्ट ने ऐसा कहते हुए याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत की मांग को खारिज कर दिया.