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ISI के लिए जासूसी करने के आरोपी BrahMos के पूर्व इंजीनियर को Bombay High Court ने दी जमानत

Justice ANIL S. KILOR ने अपने आदेश में केहा कि मामले की ट्रायल में कोई प्रगति नही हुई और याचिकाकर्ता अब तक लगभग 4.5 साल तक जेल में रह चुका है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : April 15, 2023 10:39 AM IST

नई दिल्ली: Bombay High Court  की नागपुर बेंच ने पाकिस्तान की ISI के लिए जासूसी करने के आरोपी BrahMos Aerospace Private Limited के एक पूर्व इंजीनियर को जमानत दी है.

पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल को 2018 में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी लगभग पांच साल से जेल में है और मामले की सुनवाई जल्द समाप्त नहीं होने वाली है.

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नागपुर में BrahMos Aerospace Private Limited कंपनी के मिसाइल केंद्र के तकनीकी अनुसंधान अनुभाग में कार्यरत अग्रवाल को अक्तूबर 2018 में मिलिट्री इंटेलिजेंस और उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के एक संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया था.

ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व इंजीनियर पर आईपीसी और कड़े आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (OSA) के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था.

उसने चार साल तक BrahMos Aerospace में काम किया था और उस पर पाकिस्तान की Inter-Services Intelligence (ISI) को संवेदनशील तकनीकी जानकारी लीक करने का आरोप है.

बचाव में दी दलीले

आरोपी याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में कहा गया कि जून 2022 में याचिकाकर्ता की जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज किया गया था कि अभियोजन पक्ष ने अदालत को आश्वासन दिया था कि अगले 6 माह के भीतर मुकदमें की ट्रायल समाप्त की जायेगी.

याचिकाकर्ता ने कहा कि लेकिन 6 माह बाद इस मामले में कोई प्रगति नही है.

अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता पर लगे OSA के तहत आरोपो में अधिकतम 3 वर्ष की सजा है और याचिकाकर्ता करीब साढे चार साल से जेल में है.

राज्य की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं

Justice ANIL S. KILOR ने अपने आदेश में केहा कि मामले की ट्रायल में कोई प्रगति नही हुई और याचिकाकर्ता अब तक लगभग 4.5 साल तक जेल में रह चुका है.

पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया, यह सुझाव देने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि कथित कार्य आवेदक द्वारा इरादे से किया गया था.

पीठ ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता पर लगे आरोप प्रथम दृष्टया यह दिखाने में विफल रहे कि उसने राज्य के हितों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से यह कृत्य किया था.

पीठ ने अभियोजन की दलीलों के आधार पर कहा कि अगर याचिकाकर्ता अग्रवाल को जमानत पर रिहा किया जाता है तो उससे राज्य की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है.

लगाई कड़ी शर्ते

अदालत ने पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल को 25,000 रुपये के जमानत बांड को इतनी ही राशि की सॉल्वेंट जमानत के साथ मुचलके पेश करने पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.

याचिकाकर्ता को प्रत्येक सप्ताह के सोमवार, बुधवार और शनिवार को दोपहर 12 से 1 बजे तक पुलिस थाने में पेश होने के आदेश दिए है.

साथ ही जमानत पर रिहा होने के बाद याचिकाकर्ता केस से जुड़े किसी भी गवाह या पक्षकार को धमकी नही दे सकता.