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MLC के नामों पर राज्यपाल का चुप्पी साधे रहना चिंताजनक, सरकार के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट ने ठहराया सही

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूर्व महा विकास आघाडी (उद्धव ठाकरे) सरकार द्वारा भेजी गई एमएलसी की सूची को वापस लेने के शिंदे सरकार के फैसले को वैध माना माना, लेकिन 12 व्यक्तियों को एमएलसी मनोनीत करने की उद्धव ठाकरे सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल के निर्णय न लेने को परेशान करने वाला बताया.

बॉम्बे हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : January 11, 2025 1:59 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि 12 व्यक्तियों को विधान परिषद का सदस्य (MLC) मनोनीत करने की राज्य सरकार की सिफारिश पर महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल का निर्णय न लेना काफी परेशान करने वाला है. हाईकोर्ट ने हालांकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती महा विकास आघाडी (MVA) सरकार द्वारा एमएलसी मनोनीत करने के लिए भेजी गई सूची को तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली ‘महायुति’ सरकार की ओर से वापस लेने के फैसले को वैध और कानून सम्मत माना. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 2022 के मध्य में सरकार बनने के बाद नए मंत्रिमंडल ने राज्यपाल को पत्र लिखकर सूचित किया कि पिछली सरकार द्वारा जिन 12 नामों की सिफारिश एमएलसी पद के लिए की गई थी, उसे वापस लिया जा रहा है.

MLC के नामों की सिफारिशें वापस लेने का सरकार का फैसला वैध: हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की पीठ ने बृहस्पतिवार को पूर्व पार्षद और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के पदाधिकारी सुनील मोदी की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें तत्कालीन MVA सरकार द्वारा 2020 में एलएलसी मनोनीत करने के लिए राज्यपाल को भेजी गई 12 नामों की सूची को वापस लेने को चुनौती दी गई थी.

मामले में अदालत द्वारा दिये गए जजमेंट की कॉपी शुक्रवार के दिन उपलब्ध कराई गई. इसके मुताबिक अदालत ने कहा कि यह काफी परेशान करने वाला है कि इस मुद्दे पर 2021 में एक आदेश पारित किये जाने के बावजूद, राज्यपाल ने छह नवंबर, 2020 को राज्य सरकार द्वारा की गई सिफारिशों पर कोई निर्णय नहीं लिया.

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अदालत ने कहा,

‘‘हालांकि, तथ्य यह है कि उक्त सिफारिशों या मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई सलाह पर निर्णय नहीं लिया गया था और तदनुसार, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 166 में निहित प्रावधानों के संदर्भ में ऐसे किसी भी निर्णय पर आधारित कोई आदेश जारी नहीं किया जा सकता है.’’

पीठ ने कहा कि चूंकि 12 सदस्यों को मनोनीत करने के संबंध में राज्यपाल द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया था, इसलिए मंत्रिपरिषद के पास सिफारिशें वापस लेने का अधिकार था.

अदालत ने कहा,

‘‘छह नवंबर 2020 को मंत्रिपरिषद द्वारा की गई सिफारिशों और दी गई सलाह के साथ शुरू की गई प्रक्रिया अपने अंतिम मुकाम तक नहीं पहुंच सकी और तदनुसार, ऐसी निर्णय लेने की प्रक्रिया के बीच में, हमारी राय में, यह स्पष्ट तौर पर अधिकार क्षेत्र में था कि मंत्रिपरिषद पिछली सिफारिशों को वापस ले."

मोदी ने याचिका में अनुरोध किया कि राज्यपाल को या तो छह नवंबर, 2020 को मंत्रिपरिषद द्वारा अनुशंसित 12 उम्मीदवारों को नामांकित करने या कारणों के साथ सिफारिशों को वापस करने का निर्देश दिया जाए.