Right To Last Rites: शव की अंतिम क्रिया या संस्कार को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने अहम टिप्पणी की है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने बताया, जैसे जीवित व्यक्ति के पास अधिकार होते हैं, वैसे ही अधिकार मृतक को भी मिले हैं. मृतक के अधिकार यानि सम्माजनक अंतिम क्रिया का अधिकार. बॉम्बे हाईकोर्ट ने ये बातें शवों को दफनाने को लेकर जमीनों की समस्या से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करने के दौरान कही. अदालत ने मुंबई नगर निगम को शवों को दफनाने के लिए जमीन मुहैया कराने के निर्देश दिए.
बॉम्बे हाईकोर्ट में, चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर ने दफन स्थान की कमी से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई की. बेंच ने कहा, शवों को दफनाने के लिए पर्याप्त जगह मुहैया कराना नगर निगम का संवैधानिक कर्तव्य दायित्व है.
बेंच ने कहा,
"मृतकों को सम्मानजनक और गरिमामय अंतिम संस्कार का अधिकार उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि उनके जीवित रहने पर उपलब्ध अन्य अधिकार. इसके अलावा, मृतकों के दफन के लिए पर्याप्त स्थान प्रदान करना नगर निगम का एक सांविधिक कर्तव्य और दायित्व है. नगर निगम के अधिकारी इस सांविधिक जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकते हैं,"
अदालत ने नगर निगम को निर्देश दिया है कि वे भूखंडों की पहचान करके उन्हें दफन स्थान के तौर पर उपलब्ध कराएं. वहीं, जनहित याचिका में संभावित जगहों के तौर पर तीन जगहों, देवनार कॉलोनी, रफी नगर में कुछ स्थान और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पास एक अन्य भूखंड को दफन स्थान के लिए सुझाए गए. वहीं, अदालत को बताया गया कि हिंदुस्तान प्रेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पास वाली जमीन को अधिग्रहित करने के तय मुआवजे का एक हिस्सा नहीं दिया गया है. अदालत ने नगर निगम को भुगतान कर जमीन को अधिग्रहित करने के निर्देश दिए हैं.
मामले की अगली सुनवाई 21 जून को होगी.