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ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को झटका! अंतरिम राहत पर सुनवाई से मद्रास उच्च न्यायालय ने किया इनकार

'तमिल नाडु जुआ निषेध और विनियम ऑनलाइन गेम अधिनियम, 2022' की वैधता को चुनौती देने वाली 'ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन' और ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों की अंतरिम राहत वाली याचिका को सुनने से मद्रास उच्च न्यायालय ने इनकार कर दिया है।

Madras HC Refuses to Listen to Online Gaming Companies Plea for Interim Relief

Written by Ananya Srivastava |Published : July 5, 2023 9:51 AM IST

नई दिल्ली: मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने सोमवार को 'ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन' (All India Gaming Federation) और ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों की अंतरिम राहत वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और यह कहा है कि वो अंतिम दलीलें 13 जुलाई को सुनेंगे।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन गेमिंग कंपनियों और ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन ने इस याचिका के माध्यम से 'तमिल नाडु जुआ निषेध और विनियम ऑनलाइन गेम अधिनियम, 2022' (Tamil Nadu Prohibition of Online Gambling and Regulation Online Games Act, 2022) को चुनौती दी है।

'ऑनलाइन गेमिंग की लत परिवारों को खत्म कर रही है'

'तमिल नाडु जुआ निषेध और विनियम ऑनलाइन गेम अधिनियम, 2022' के पक्ष में बात करने वाली तमिल नाडु सरकार ने उच्च न्यायालय को यह बताया था कि उनके हिसाब से ऑनलाइन गेमिंग की लत 'परिवारों को खत्म कर रही है' (destroying families) और इसलिए उनका यह अधिनियम, जो राज्य में हर तरह के ऑनलाइन गेम्स को बैन कर रहा है, सही है और राज्य के नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए है।

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इस अधिनियम की पैरहवी कपिल सिबल (Kapil Sibal) ने की है और उन्होंने यह भी बताया है कि इस अधिनियम को 10 अप्रैल को राज्यपाल की अनुमति मिल गई थी और यह हर तरह के ऑनलाइन जुए वाले गेम और ऑनलाइन 'गेम ऑफ चांस' जैसे ऑनलाइन रमी और पोकर पर प्रतिबंध लगता है।

सरकार के इस अधिनियम के खिलाफ दायर हुई याचिका

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकार ने जो यह 'तमिल नाडु जुआ निषेध और विनियम ऑनलाइन गेम अधिनियम, 2022' जारी किया था, उसकी वैधता को चुनौती देते हुए ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन और कई ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

याचिकाकर्ताओं ने याचिका के जरिए इस अधिनियम के कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक (Interim Stay) और किसी भी प्रकार की बलपूर्वक कार्रवाई (Coercive Action) पर अंतरिम राहत (Interim Relief) की मांग की थी। गेमिंग कंपनियों और फेडरेशन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अभिषेक मनु सिंघवी हैं।

यह मामला जब मद्रास उच्च न्यायालय में गया तो चीफ जस्टिस एस वी गंगापुरवाला और जस्टिस पीडी औडिकेसवलु की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और कहा है कि क्योंकि ज्यादातर दलीलें एक जैसी होंगी, इनकी सुनवाई अब आखिरी तारीख पर होगी, जो 13 जुलाई है।