नई दिल्ली: Karnataka High Court ने भष्ट्राचार के मामले में BJP MLA Madal Virupakshappa को मिली अग्रिम जमानत को खारिज कर दिया है.
अग्रिम जमानत के खिलाफ कर्नाटक लोकायुक्त की ओर से दायर याचिका पर सोमवार को फैसला सुनाते हुए जस्टिस के नटराजन कहा कि भष्ट्राचार के अपराध में याचिकाकर्ता की संलिप्तता दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद है, और लोकायुक्त पुलिस के लिए मदल को हिरासत में लेकर पूछताछ करना बहुत जरूरी है.
भाजपा विधायक को 7 मार्च को 5 लाख रूपये के निजी मुचलके की शर्ता हाईकोर्ट की एकलपीठ ने अंतरिम अग्रिम जमानत दी थी,जिसके खिलाफ कर्नाटक लोकायुक्त द्वारा मामले में याचिका दायर की गई थी.
हाईकोर्ट के जस्टिस के नटराजन ने 17 मार्च को मामले में सभी पक्षों की सुनवाई के बाद अग्रिम जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा था.
सोमवार को अपने आदेश में जस्टिस नटराजन ने कहा "यद्यपि इस अदालत ने मामले के निस्तारण तक अंतरिम अग्रिम जमानत दी थी, क्योंकि उस समय प्राथमिकी में कोई सामग्री नहीं मिली थी, लेकिन अब, मामले के अनुसार अपराध में याचिकाकर्ता की संलिप्तता दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।"
पुलिस की डायरी और मोहन का सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान इसलिए, लोकायुक्त पुलिस के लिए याचिकाकर्ता की हिरासत जरूरी है ताकि मामले में उससे पूछताछ की जा सके.
4 मार्च को, बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने पांच लोगों को रिश्वत लेने के आरोप में चौदह दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था, जिसमें विरुपक्षप्पा के बेटे प्रशांत मदल भी शामिल थे.लेकिन हाईकोर्ट ने इस मामले में भाजपा विधायक को अग्रिम जमानत दी थी.
जमानत का विरोध करते हुए लोकायुक्त पुलिस ने हाईकोर्ट में बताया था कि इस मामले में विधायक पहले आरोपी है जबकि बेटा दूसरा आरोपी है.
अग्रिम जमानत के अपने ही आदेश को रद्द करते हुए अदालत ने कहा कि "इस अदालत द्वारा 07 मार्चा को दी गई अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द की जाती है. तदनुसार, याचिकाकर्ता-आरोपी नंबर 1 द्वारा सीआरपीसी की धारा 438 के तहत दायर की गई अग्रिम जमानत की याचिका खारिज की जाती है."
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में सोमवार को भाजपा विधायक सहित अन्य को नोटिस जारी किए है.