नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिकाओं के संबंध में कल, 8 जनवरी, 2024 को अपना अंतिम फैसला सुनाएगा। इस मामले में फैसला 12 अक्टूबर, 2023 को न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने 11 दिनों तक दलीलें सुनने के बाद सुरक्षित कर लिया था। 2002 में गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और उस समय वह गर्भवती भी थीं। गैंगरेप के साथ बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी जिसमें उनकी तीन-वर्षीय बेटी भी शामिल थी। सामूहिक बलात्कार हेतु दोषी पाए गए 11 लोगों को 15 अगस्त, 2022 को जेल से रिहा कर दिया गया था। इस रिहाई के खिलाफ ही बिलकिस बानो और कई अन्य लोगों ने उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं दायर की थी।
पिछले साल सितंबर में मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पूछा था कि दोषियों के पास माफी मांगने का मौलिक अधिकार है या नहीं। शुरुआती दलीलों के दौरान, अदालत ने कहा था कि राज्य सरकारों को दोषियों को छूट देने में चयनात्मक नहीं होना चाहिए और सुधार और समाज के साथ फिर से जुड़ने का अवसर हर कैदी को मिलना चाहिए। बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका के अलावा, गुजरात सरकार द्वारा उन्हें दी गई छूट को चुनौती देते हुए, सीपीआई (एम) नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लाल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा सहित कई अन्य लोगों द्वारा जनहित याचिकाएँ दायर की गई हैं। टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने भी सजा में छूट और समय से पहले रिहाई के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है।
बिलकिस बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं, जब गुजरात में गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद, 2002 में भड़के सांप्रदायिक दंगों के डर से भागते समय उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। उनकी तीन साल की बेटी दंगों में मारे गए परिवार के सात सदस्यों में से एक थी। गैंगरेप के लिए जिन 11 दोषियों को जेल में डाला गया था, उन्हें गुजरात सरकार द्वारा छूट दी गई और 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया।
इस मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं क्योंकि जब 11 दोषियों को रिहा किया गया था, देश की जनता ने इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई थी। अब, यह देखने वाली बात है कि सर्वोच्च न्यायालय दोषियों की रिहाई के खिलाफ फैसला सुनाता है या उसके पक्ष में।