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Bilkis Bano Case: दोषियों की रिहाई मामले में केंद्र और गुजरात सरकार का SC में फाइल जमा कराने से इनकार

केंद्र और गुजरात सरकार ने Supreme Court को सूचित किया कि वे 2002 के गुजरात दंगों के दौरान Bilkis Bano सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सजा से संबंधित फाइलें पेश करने के सुप्रीम केार्ट के आदेश को चुनौती देंगे. SC ने मामले के अंतिम निस्तारण के लिए 2 मई को सुनवाई तय की है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : April 19, 2023 8:16 AM IST

नई दिल्ली: केन्द्र सरकार और गुजरात सरकार ने ​Bilkis Bano Case में दुष्कर्म और हत्या केस के 11 दोषियों की रिहाई की फाइल को सुप्रीम कोर्ट में पेश करने से इंकार कर दिया है.

मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र और गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वे 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सजा से संबंधित फाइलें पेश करने के सुप्रीम केार्ट के आदेश को चुनौती देंगे.

Justices KM Joseph और Justices BV Nagarathna की पीठ ने सरकार के इस रवैये पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारों का रूख अदालत की अवमानना के बराबर है, क्योंकि उन्होने अभी तक अदालत के पिछले आदेश के खिलाफ समीक्षा दायर नहीं की है, लेकिन अभी तक फाइलो को पेश नहीं करने पर जोर दे रहे है.

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राज्य ले सकता था स्वतंत्र फैसला

पीठ ने कहा कि "आज हमें (फाइलें) दिखाने में क्या समस्या है? आप इसे पेश नहीं करने के लिए अवमानना ​​कर रहे हैं. पीठने कहा कि राज्य सरकार दोषियों की रिहाई पर केंद्र सरकार के रुख को अपनाने के लिए किसी भी बाध्यता के तहत नहीं थी और वह एक स्वतंत्र फैसला ले सकती थी.

पीठ ने कहा "यदि संघ सहमत है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको व्यक्तिगत रूप से अपना दिमाग लगाने की आवश्यकता नहीं है. कोई भी राज्य कानून की रूपरेखा से बच नहीं सकता है.

पीठ ने मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारे लिए यदि आप कहते हैं कि आप हमें कारण नहीं देंगे या फाइलें पेश नहीं करेंगे ... हम अपने निष्कर्ष निकालने के लिए स्वतंत्र होंगे

जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि यदि आप फाइल दिखाएंगे तो आप बेहतर स्थान पर होंगे.

केन्द्र ने कहा चुनौती देंगे

पीठ द्वारा मामले में सख्त रूख दिखाए जाने पर एएसजी ने केन्द्र की ओर से जवाब पेश करते हुए कहा कि उन्हें केवल इस बात की जानकारी दी गई है कि सरकारें इस आदेश को चुनौती दे सकती हैं और इसलिए ठोस जवाब देने के लिए उन्हे और निर्देशों की आवश्यकता होगी.

दोषियों के रवैये पर कोर्ट की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान एक दोषी के अधिवक्ता ने अपना जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए और अधिक समय मांगे जाने पर पीठ ने इसे मामले को लंबित रखने की रणनीति बताया.

पीठ ने इस सख्त ऐतराज जताते हुए कहा कि "हम इस रणनीति से भी अवगत हैं कि मामले को आरोपियों द्वारा कम से कम दिसंबर तक खींचा जा सकता है. वे कहेंगे कि सेवा नहीं दी गई और 4 सप्ताह का समय मांगा जाएगा.

जिस पर दोषी के अधिवक्ता ने बचाव करते हुए कहा कि उन्हे नोटिस केवल 27 मार्च को जारी किया गया था, और एक महीने से भी कम समय मिला है, जबकि मामला उनकी आजादी से जुड़ा है.

निर्णय

सभी पक्षो की बहस सुनने बाद पीठ ने केन्द्र और राज्य सरकार को अगली सुनवाई पर फाइल पेश करने का आदेश दिया है.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वह इस मामले के अंतिम निस्तारण के लिए 2 मई को सुनवाई करेगा.