राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने लोक अदालत के फैसले को बरकरार रखा है. मामला था आवारा सांड (Stray Bull) द्वारा किए हमलें में एक महिला की मौत का. लोक अदालत (Lok Adalat) ने बीकानेर नगर निगम को इस घटना के लिए जिम्मेदार माना. लोक अदालत ने पीड़िता के परिवार को 3 लाख रूपये मुआवजा देने का आदेश दिया. इस फैसले को बीकानेर नगर निगम (Bikaner Municipal Corporation) ने राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. वहीं, राजस्थान हाईकोर्ट ने लोक अदालत के फैसले को बरकरार रखा है.
राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस विनीत कुमार की सिंगल-बेंच ने इस याचिका को सुना. जस्टिस ने लीगल सर्विस अथोरिटी एक्ट, 1987 के सेक्शन 22 (ए) हवाला दिया जिसमें पब्लिक यूटिलिटी सर्विस में सार्वजनिक स्वच्छता कार्य भी शामिल है. जस्टिस ने लोक अदालत द्वारा मृतक के पति और बच्चों को मुआवजा के देने के आदेश को सही बताया है.
कोर्ट ने कहा,
"मामले में याचिकाकर्ता अपने कार्य में असफल रहा. नगर निगम सड़कों से कचरा और खाने की चीजें हटानें में विफल रहा जिससे सड़को पर आवारा जानवर घुम रहे हैं. स्थायी लोक अदालत के पास 1987 के अधिनियम के तहत अधिकार था . उन्होंने सही फैसला दिया है. "
हाईकोर्ट ने लोक अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए बीकानेर नगर निगम को पीड़िता के परिजन को मुआवजा देने के निर्देश दिए है. सुनवाई के दौरान, नगर निगम क्षेत्र में बढ़ती गंदगी और स्वच्छता की चुनौतियों पर ध्यान देते हुए
जस्टिस नेकहा,
“अब समय आ गया है, जब अवारा जानवरों के हमले में चोटों और मौतों का सामना करने वाले व्यक्तियों को मुआवजा देकर, नगर निगम को अपने दायित्वों के प्रति चेताया जाए. जैसा कि लोक अदालत ने इस मामले में किया है.”
अदालत ने आगे कहा,
“याचिकाकर्ता आवारा सांडों और गायों को सड़क से दूर रखने में विफल रहा, परिणामस्वरूप ये दुर्घटना हुई. "
याचिकाकर्ता के वकील ने अपने दलील में कहा कि नगर में घूम रहे आवारा पशुओं के लिए नगर निगम जिम्मेदार नहीं है. हालांकि, हाईकोर्ट ने लोक अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए बीकानेर नगर निगम को मुआवजा देने के निर्देश दिए है.