इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में राहुल गांधी के दोहरी नागरिकता होने के आरोप में दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्र सरकार को इस मामले में अब तक की गई कार्यवाही का ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद अब मामला रद्द कर दिया गया है. कर्नाटक के सामाजिक कार्यकर्ता एस विगनेश शिशिर द्वारा दायर जनहित याचिका में दावा किया गया था कि राहुल गांधी भारत के साथ साथ ब्रिटेन के भी नागरिक हैं, ऐसे में वह संविधान के अनुच्छेद 84(ए) के तहत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य है.
जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस राजीव सिंह की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार याचिकाकर्ता की शिकायत के समाधान के लिए कोई समय सीमा नहीं दे पा रही है, ऐसे में इस याचिका को लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है. अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अन्य वैकल्पिक कानूनी उपाय अपनाने के लिए स्वतंत्र है। गत 21 अप्रैल को हुई पिछली सुनवाई में अदालत को बताया गया था कि केंद्र ने ब्रिटेन की सरकार को पत्र लिखकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता होने के दावों के बारे में जानकारी मांगी है.
पीठ ने राहुल गांधी की नागरिकता विवाद को लेकर दायर याचिका पर केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह 10 दिनों में इस संबंध में याची की ओर से दाखिल प्रत्यावेदन को निस्तारित करें. मामले में याची की ओर से दलील दी गई है कि उसके पास तमाम दस्तावेज और ब्रिटिश सरकार के कुछ ई-मेल हैं जिनसे यह सिद्ध होता है कि राहुल गांधी एक ब्रिटिश नागरिक हैं और इसी वजह से वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं तथा लोकसभा सदस्यता के योग्य नहीं हैं.
इसी आधार पर, याची ने राहुल गांधी की सांसद पद पर बने रहने के खिलाफ अधिकार पृच्छा रिट जारी करने का आदेश देने का भी अनुरोध किया था। साथ ही, याचिका में राहुल गांधी के इस प्रकार से दोहरी नागरिकता धारण करने को भारतीय न्याय संहिता तथा पासपोर्ट अधिनियम के तहत अपराध बताते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को मामला दर्ज कर जांच करने का आदेश देने का भी अनुरोध किया गया था.