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गैंगस्टर एक्ट में अब्बास अंसारी को बड़ी निराशा, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की जमानत अर्जी

मऊ सदर के विधायक अब्बास अंसारी को गैंगस्टर अधिनियम के तहत जमानत देने से इनकार करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मामले में पुलिस की प्रारंभिक जांच अभी जारी है, ऐसे में आरोपी को राहत देने का कोई आधार नहीं बनता है.

मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में नहीं मिली जमानत

Written by My Lord Team |Published : December 20, 2024 12:40 PM IST

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विधायक अब्बास अंसारी को गैंगस्टर अधिनियम के तहत जमानत देने से इनकार किया है. हाईकोर्ट ने कहा कि मामले में पुलिस की प्रारंभिक जांच अभी जारी है, ऐसे में आरोपी को राहत देने का कोई आधार नहीं बनता है. मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने 28 अगस्त, 2024 को गैंग चार्ट तैयार किया, जिसमें अब्बास अंसारी को गिरोह का सरगना बताया गया था, इस चार्ट के आधार पर अब्बास अंसारी पर 31 अगस्त, 2024 को गैंगस्टर कानून और असामाजिक गतिविधियां अधिनियम के तहत FIR दर्ज की गई थी. अब्बास अंसारी को 6 सितंबर, 2024 से जेल में बंद है.

अब्बास अंसारी को नहीं मिली जमानत

जस्टिस समित गोपाल की पीठ ने  चित्रकूट जिले के थाना कोतवाली कर्वी में मऊ से विधायक अब्बास अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में जमानत देने से इंकार किया है. अदालत ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए बुधवार को कहा कि इस मामले के तथ्यों और अन्य संबंधित तथ्यों जैसे मौजूदा मामले में जांच अब भी लंबित है और इसी मामले में याचिकाकर्ता छह सितंबर, 2024 से जेल में निरूद्ध है, पर विचार करने के बाद हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं बनता.

क्या है मामला?

गैंगस्टर एक्ट मामले में अब्बास अंसारी, नवनीत सचान, नियाज अंसारी, फराज खान और शाहबाज आलम खान के खिलाफ 31 अगस्त, 2024 को थाना कोतवाली कर्वी, जिला चित्रकूट में गैंगस्टर कानून और असामाजिक गतिविधियां (निषेध) अधिनियम, 1986 के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें आरोप लगा है कि इन लोगों ने वित्तीय और अन्य लाभों के लिए एक गिरोह बनाया है. प्राथमिकी में यह आरोप भी लगाया गया है कि इन अभियुक्तों ने लोगों को डराकर रखा और फिरौती की मांग करते और लोगों को मारते पीटते जिसकी वजह से संबंधित थाना क्षेत्र में भय और आतंक का माहौल है. पुलिस द्वारा 28 अगस्त, 2024 को गैंग चार्ट तैयार किया गया जिसे 29 अगस्त, 2024 को चित्रकूट के जिलाधिकारी द्वारा मंजूरी प्रदान की गई जिसमें दर्शाया गया कि याचिकाकर्ता गिरोह का सरगना है, जबकि अन्य चार आरोपी गिरोह के सदस्य हैं जो अपराध में शामिल रहे हैं.

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