नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की एक महिला की ओर से लगाए गए यौन शौषण के आरोप के मामले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता कैलाश विजयवर्गीय को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेताा कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा नेता जिष्नु बसु व प्रदीप जोशी के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत को वापस अलीपुर के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट को भेजते हुए नए सिरे से विचार कर फैसला करने के आदेश दिए है.
जस्टिस एम आर शाह की पीठ के इस आदेश के बादद अलीपुर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट यह तय करेगा कि मामले में एफआईआर दर्ज की जाए या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखे जाने के 17 महीने बाद गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कोलकाता की मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, आरएसएस सदस्य जीसु बसु और निलंबित के खिलाफ बलात्कार और आपराधिक धमकी के आरोप में पुलिस जांच का निर्देश दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए आरोपी के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने की मांग वाली एक अर्जी पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया है.
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ विजयवर्गीय, बसु और जोशी द्वारा कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अक्टूबर 2021 में अपील में नोटिस जारी करते हुए हाईकोर्ट को आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर विचार करने की अनुमति दी। थी. दिसंबर 2021 में एक आदेश के जरिए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं के निस्तारण तक विजयवर्गिय सहित सभी आरोपियों को अपराधिक कार्यवाही से सुरक्षा दी थी.