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रिटायरमेंट के पांच साल बाद तक किया इंतजार लेकिन नहीं मिली पेंशन! देहांत के बाद राजस्थान हाइकोर्ट से मिला न्याय

एक ऑडिट इंस्पेक्टर ने रिटाइरमेंट के पांच साल बाद तक अपने पेंशन के लिए लड़ाई की और इसी दौरान उनका देहांत हो गया। उनकी मृत्यु के बाद किस तरह राजस्थान हाईकोर्ट ने उन्हें न्याय दिलाया है, जानिए

Rajasthan HC Grants Pension Retiral Benefits to Deceased Audit General after 5 Years

Written by My Lord Team |Published : June 22, 2023 1:03 PM IST

नई दिल्ली: राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में सहकारिता विभाग के सेवानिवृत्त लेखापरीक्षा निरीक्षक (Auditor General) के कानूनी प्रतिनिधियों को आदेश दिया है कि लेखापरीक्षा निरीक्षक के सेवानिवृत्ति लाभ जारी कर दिए जाएं। उक्त निरीक्षक ने रिटाइरमेंट के पांच साल बाद तक पेंशन का इंतजार किया और उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट से देहांत के बाद न्याय मिला है.

देहांत के बाद मिला न्याय

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि याचिकाकर्ता जनवरी, 2018 में सेवानिवृत्त हो गए थे और पिछले पांच सालों से वो अपने सेवानिवृत्ति लाभ और पेंशन के लिए लड़ रहे थे जिन्हें प्रतिवादी-अधिकारियों ने बिना किसी जायज कारण के रोका हुआ था।

याचिकाकर्ता के खिलाफ न ही कोई लंबित जांच बाकी थी और न ही उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामले दर्ज थे। अपनी पेंशन और बाकी सेवानिवृत्ति लाभों के लिए लड़ते हुए याचिकाकर्ता का देहांत हो गया लेकिन उन्हें उनका हक नहीं मिला।

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राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश अनूप कुमार धंद की एकल पीठ से अब उनको न्याय प्राप्त हुआ है।

अदालत ने याचिकाकर्ता के पक्ष में दिया आदेश

न्यायाधीश अनूप कुमार धंद ने यह कहा है कि इन लेखापरीक्षा निरीक्षक जैसे कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति लाभों को रोककर नहीं रखा जा सकता है क्योंकि दस्तावेज उनके विभाग को किसी अन्य विभाग की तरफ से नहीं आए हैं। यहां प्रतिवादी यह नहीं कह सकते हैं कि विलंब इसलिए हुआ है क्योंकि किसी अन्य विभाग या प्राधिकरण ने समय पर दस्तावेज नहीं पहुंचाए।

प्रतिवादी का यह बर्ताव और लेखापरीक्षा निरीक्षक की पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ को रोकना बेबुनियाद, मनमाना, अवैध और कानून के विपरीत है।

अदालत ने प्राधिकरण को याद दिलाया है कि कोई इनाम (Bounty) नहीं है बल्कि एक कर्मचारी की लगातार, ईमानदारी की सेवा का फल है और इसलिए इस तरह इन लाभों को रोकना हतोत्साहित करने वाला है।

इसी के चलते, राजस्थान उच्च न्यायालय ने सेवानिवृत्त लेखापरीक्षा निरीक्षक के कानूनी प्रतिनिधियों को आदेश दिया है कि उनके सेवानिवृत्ति लाभ तुरंत रिलीज किए जाएं और याचिकाकर्ता की पत्नी को 50 हजार रुपये भी दिए जाएं।