शुक्रवार के दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 के हत्या के प्रयास मामले में बागी पार्टी के विधायक अभय सिंह (SP MLA Abhay Singh) की बरी होने के खिलाफ दायर अपील में विभाजित निर्णय सुनाया. हत्या के प्रयास मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने अलग-अलग फैसला सुनाया है. बेंच में शामिल जस्टिस मसूदी ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए अभय सिंह सहित पांच आरोपियों को तीन साल की सजा सुनाई है, जबकि जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव-I ने ट्रायल कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखते हुए आरोपियों को बरी किया है. वहीं फैसले के निर्णय के लिए अब इस मामले को चीफ जस्टिस के पास भेजा गया है. ट्रायल कोर्ट ने अभय सिंह सहित आरोपियों को बरी कर दिया था, जिसे शिकायतकर्ता विकास ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.
साल 2010 के इस मामले में सपा विधायक अभय सिंह समेत पांच लोगों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कराया गया था. इस शिकायत के अनुसार (अपीलकर्ता) विकास सिंह ने दावा किया कि वह फैजाबाद से अपने मित्र और रिश्तेदारों के साथ गांव लौट रहे थे. इस दौरान उनकी कार को एक अन्य कार ने ओवरटेक कर रोक दिया और कार में से कुछ लोग निकलकर कई लोग बाहर आए और उन पर गोलीबारी की. शिकायतकर्ता ने दावा किया कि गोलीबारी करने वालों में सपा विधायक अभय सिंह, रामाकांत यादव, रविकांत यादव, शंभू नाथ सिंह और संदीप सिंह शामिल थे. चूंकि उनका ड्राइवर गाड़ी को भगाने में सफल रहा, इसलिए उनकी जान बच गई.
हालाकि, ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि वादी मामले को संदेह से परे साबित करने में असफल रहा है. ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को विकास सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है. अपीलकर्ता ने दावा किया कि ट्रायल कोर्ट को मामूली विरोधाभासों के कारण गवाही को खारिज नहीं करना चाहिए था, जहां चिकित्सा और वाहन निरीक्षण रिपोर्ट, गवाही का समर्थन करती हैं.