नई दिल्ली: अनुच्छेद 370 के निराकरण (Abrogation of Article 370) को लगभग चार साल हो चुके हैं, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) को एक स्पेशल स्टेटस दिया गया। बता दें कि निराकरण के इतने समय बाद सरकार के इस फैसले के खिलाफ दायर हुईं कुछ 20 याचिकाओं की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट की एक नई संवैधानिक पीठ के समक्ष होगी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 के निराकरण के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) ने एक नई संवैधानिक पीठ (Constitutional Bench) का गठन किया है जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud) करेंगे।
इस पीठ में जस्टिस चंद्रचूड़ के अलावा न्यायाधीश संजय किशन कौल (Justice Sanjay Kishan Kaul), न्यायाधीश संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna), न्यायाधीश बी आर गवई (Justice BR Gavai) और न्यायाधीश सूर्य कांत (Justice Surya Kant) शामिल हैं।
इन सभी याचिकाओं की सुनवाई की तारीख भी तय कर दी गई है। इस मामले पर 11 जुलाई, 2023 को निर्देश दिए जाएंगे। इन सभी 20 याचिकाओं ने अनुच्छेद 370 के निराकरण और जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देने वाले केंद्र के फैसले को चुनौती दी है।
इन मामलों को जब मार्च 2020 में लिस्ट किया गया था, तब सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों वाली संवैधानिक पीठ ने इन याचिकाओं को सात सदस्यों वाली एक संवैधानिक पीठ को रेफर करने से इनकार कर दिया था।
याचिकाकर्ताओं के हिसाब से इस पीठ के दो जजमेंट्स- 'प्रेम नाथ कौल बनाम जम्मू-कश्मीर राज्य' (Prem Nath Kaul v. State of Jammu & Kashmir) और 'सम्पत प्रकाश बनाम जम्मू-कश्मीर राज्य' (Sampat Prakash v. State of Jammu & Kashmir) में टकराव था।
याचिकाकर्ताओं की इस बात को पांच सदस्यों वाली संवैधनिक पीठ ने मानने से इनकार कर दिया था और यह कहा था कि दोनों जजमेंट्स में कोई कॉन्फ्लिक्ट नहीं है।
इन याचिकाऑन को इस साल फरवरी में सीजेआई की अध्यक्षता वाली एक पीठ के समक्ष भी मेंशन किया गया था जिस पर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि इसकी लिस्टिंग को लेकर 'फैसला लेंगे'।