सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवर को एमएलए अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर सुनवाई की. मामले में कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से जबाव मांगा. मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी पर आर्म्स एक्ट मामले में कई मामले दर्ज है.
जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने अब्बास अंसारी के वकील कपिल सिब्बल की दलीलें सुनी. दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया.
नवंबर, 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अब्बास अंसारी को जमानत देने से मना कर दिया था. वहीं, हाइकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने के लिए अब्बसा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील किया.
हाईकोर्ट के जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने अब्बास की जमानत रद्द करते टिप्पणी की किया, "आपके दिल्ली स्थित आवास से भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद हुए. कुछ ऐसे हथियार भी मिले जिसकी इजाजत प्रोफेशनल शूटर को नहीं दी जाती."
अब्बास अंसारी की जमानत याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अब्बास एक विधायक है, और गवाहों को प्रभावित करने में सक्षम हैं. अब्बास अंसारी पर एक प्रोफेशनल लाइसेंस पर कई आगनेयास्त्र (Fire arms) लेने के आरोप हैं. इस पर 2019 में उनके खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज हुई.
प्राथमिकी में अब्बास पर आरोप लगा कि उन्होंने संबंधित थाने में सूचित किए बिना अपने हथियार का पता लखनऊ से बदलकर दिल्ली कर दिया. साथ में आरोप भी था कि उन्होंने अलग-अलग पहचान पत्रों से दो राज्यों के लाइसेंस का प्रयोग जारी रखा.
हाईकोर्ट ने माना कि अब्बास का एक अपराधिक इतिहास भी रहा है. वह आठ मामलों में आरोपी है. और हाईकोर्ट ने अब्बास अंसारी की जामनत याचिका खारिज कर दी. हाईकोर्ट के इस फैसले को अब्बास अंसारी के वकील अंजलि झा मनीष के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
मऊ सदर से एमएलए अब्बास अंसारी उत्तर प्रदेश को डॉन मुख्तार अंसारी के बेटे हैं. इसके साथ ही अब्बास पेशे से एक प्रोफेशनल शूटर भी है. जो पंजाब राइफल एसोसिएशन के लिए साल 2012 से शूटिंग करता है.
(ये कॉपी हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे सत्यम कुमार ने लिखी है.)