Anticipatory Bail: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला कहा कि एक मामले में गिरफ्तार व्यक्ति को दूसरे मामले में जमानत की मांग कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी को किसी मामले में अग्रिम जमानत मांगने का अधिकार है, जब तक कि उसे दोबारा से गिरफ्तार नहीं किया जाता है. अदालत ने यह भी कहा कि कोई कानून उच्च न्यायालय या सत्र न्यायालय में हिरासत में लिए गए व्यक्ति की अग्रिम जमानत मांग आवेदन पर सुनवाई करने पर कोई रोक नहीं लगाता है.
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने अग्रिम जमानत को लेकर अहम फैसला सुनाया है.
पीठ इस कानूनी मुद्दे पर सवाल उठाया कि क्या गिरफ्तार आरोपी को दूसरे मामले में अग्रिम जमानत दी जा सकती है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी को किसी मामले में अग्रिम जमानत मांगने का अधिकार है, जब तक कि उसे मामले में गिरफ्तार नहीं किया जाता है. वहीं गिरफ्तारी के बाद आरोपी के पास केवल नियमित जमानत मांगने के लिए आवेदन करने का उपाय बच जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान ये भी कहा कि सीआरपीसी या किसी अन्य कानून में ऐसा कोई रोक नहीं है जो हाईकोर्ट या सेशन कोर्ट गिरफ्तार व्यक्ति की अग्रिम जमानत की सुनवाई पर रोक लगाता हो. अदालत ने साफ तौर पर कहा कि अगर हिरासत में लिए गए व्यक्ति को जांच एजेंसी पहले गिरफ्तार कर लेती है तो उसके पास अग्रिम जमानत मांगने का अधिकार नहीं रह जाएगा. वहीं अगर आरोपी को अदालत से पहले अग्रिम जमानत मिल जाती है तो जांच एजेंसी के पास हिरासत मांगने का अधिकार नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक मामले में हिरासत का प्रभाव दूसरे मामले में गिरफ्तारी को की आशंका खत्म नहीं होती है, इसलिए आरोपी को उस मामले में अग्रिम जमानत मांगने का हक है.