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1984 Anti-Sikh Riots: दिल्ली की अदालत ने Jagdish Tytler की अग्रिम जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा

1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले में अग्रिम जमानत के लिए कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ने दिल्ली के एक कोर्ट में याचिका दायर की जिसपर विशेष न्यायाधीश ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है; यह फैसला 4 अगस्त, 2023 को सुनाया जाएगा..

Jagdish Tytler- 1984 Anti-Sikh Riots

Written by Ananya Srivastava |Published : August 3, 2023 11:37 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों (Anti Sikh Riots 1984) में पुल बंगश इलाके में तीन लोगों की हत्या के मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर (Jagdish Tytler) की अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला चार अगस्त के लिए सुरक्षित कर लिया।

विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने टाइटर तथा केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार कार्यवाही के दौरान खुद को पीड़ित बताने वाली एक महिला ने अदालत को बताया कि 39 साल हो गए हैं और उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिला है। यह कहते हुए महिला न्यायाधीश के सामने रो पड़ीं। लगभग चार दशकों से दंगा पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का और अन्य अधिवक्ताओं ने उन्हें शांत किया।

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सुनवाई के दौरान सीबीआई ने याचिका का विरोध किया और कहा कि गवाह काफी साहस दिखा कर आगे आए हैं और उन्हें प्रभावित किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। पीड़ितों की ओर से पेश होते हुए फुल्का ने भी जमानत याचिका का विरोध किया और दावा किया कि टाइटलर ने टीवी पर सजीव प्रसारण के दौरान उन्हें धमकी दी थी।

फुल्का ने कहा कि यह देश का पहला मामला है जिसमें तीन बार क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई और अदालत ने इसे हर बार खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ तीन सिखों की हत्या का मामला नहीं है, यह सिखों के नरसंहार से जुड़ा मामला है। दिल्ली में दिनदहाड़े 3000 लोगों की हत्या कर दी गई... जिन लोगों ने सिख महिलाओं के साथ बलात्कार किया और उनकी हत्या की, उन्हें सम्मानित किया गया, इसीलिए हम सब देख रहे हैं कि मणिपुर में आज क्या घटित हो रहा है।’’

सीबीआई ने कहा, ‘‘नए गवाहों के बयानों के अनुसार प्रथमदृष्टया जगदीश टाइटलर की भूमिका सामने आती है।’’ इससे पहले 26 जुलाई को अदालत ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को पांच अगस्त को पेश होने का निर्देश दिया था। सीबीआई ने 20 मई को मामले में टाइटलर के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था। राहत की मांग करते हुए टाइटलर के वकील ने अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल को गिरफ्तारी की आशंका है और उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।

टाइटलर के वकील मनु शर्मा ने अदालत को बताया, ‘‘जांच एजेंसी द्वारा अपराध के सही समय का पता नहीं लगाया गया था और मामले में कई क्लोजर रिपोर्ट दायर की गईं... दिल्ली पुलिस ने दो बार और सीबीआई ने एक बार कहा कि टाइटलर के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला।’’ उन्होंने कहा कि सीबीआई ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के बाद लोकसभा चुनाव से ठीक 11 महीने पहले कुछ नए गवाहों के बयानों के आधार पर टाइटलर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।

शर्मा ने कहा, “सीबीआई ने मामले में कई बार क्लोजर रिपोर्ट दायर की और विरोध में दायर याचिका का भी विरोध किया। सीबीआई ने 2007 और 2014 में आरोपपत्र दाखिल करते हुए क्लीन चिट दे दी थी।’’ उन्होंने यह भी बताया कि सीबीआई ने पूरी जांच के दौरान टाइटलर को गिरफ्तार नहीं किया। शर्मा ने अदालत में कहा कि 25 साल बाद शामिल किए गए गवाहों पर भरोसा नहीं किया जा सकता और टाइटलर के भागने का खतरा नहीं है क्योंकि उनकी उम्र 79 वर्ष है और उन्हें चिकित्सीय समस्याएं हैं।

शहर की एक अदालत ने सीबीआई द्वारा दायर 20 मई के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के बाद 26 जुलाई को मामले में टाइटलर को पांच अगस्त को तलब किया है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के एक दिन बाद एक नवंबर, 1984 को यहां पुल बंगश क्षेत्र में तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी और एक गुरुद्वारे में आग लगा दी गई थी।

अदालत में दाखिल अपने आरोपपत्र में, सीबीआई ने दावा किया कि टाइटलर ने एक नवंबर, 1984 को आजाद मार्केट में पुल बंगश गुरुद्वारे पर इकट्ठा हुई भीड़ को ‘‘उकसाया और भड़काया’’, जिसके परिणामस्वरूप गुरुद्वारे में आग लगा दी गई और तीन सिखों- ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरुचरण सिंह- की हत्या कर दी गई। जांच एजेंसी ने टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 148 (दंगा) और धारा 109 (उकसावे) के साथ पठित धारा 302 (हत्या) समेत अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं।