नई दिल्ली: maternity leave को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वूपर्ण फैसला देते हुए कहा है कि एक महिला द्वारा बच्चे को जन्म दिए जाने के बाद भी वह maternity leave की हकदार है.
हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चे के जन्म को जीवन की प्राकृतिक घटना के रूप में रोजगार के संदर्भ में समझा जाना चाहिए और मातृत्व लाभ अधिनियम के प्रावधानों को उस परिप्रेक्ष्य में समझा जाना चाहिए।
Justice Ashutosh Srivastava ने अपने फैसले में कहा कि Maternity Benefit Act को महिलाओं के pregnancy and maternity leave अधिकारों को सुरक्षित करने और एक महिला को मॉं और कर्मचारी दोनो के रूप में स्वतंत्र जीवन जीने के लिए और उसे अधिक लचीला बनाने के लिए लागू किया गया है.
देश में Maternity Benefit Act को लागू करने के उद्देश्यों को परिभाषित करते हुए Justice Ashutosh Srivastava ने कहा कि हमारे देश की संसद ने ये कानून इसलिए बनाया ताकि एक महिला को उसके द्वारा बच्चे को जन्म दिये जाने का कारण, उसके रोजगार या मजदूरी प्राप्त करने के अधिकार के बीच बाधा नही बनना चाहिए.
अदालत ने कहा कि इस कानून के अनुसार maternity leave का यह अधिकार बच्चे के जन्म के बाद तक भी बढाया जा सकता है ताकि बच्चे के जन्म के बाद उसकी देखभाल के लिए भी छुट्टी दी जा सके.
अदालत ने कहा कि Maternity Benefit Act की धारा 5 की उपधारा 3 और 4 के प्रावधान ये स्पष्ट करते है कि maternity leave का अधिकार मातृत्व लाभ के बाद भी बढ़ाया जा सकता है.
अदालत ने कहा कि महिला द्वारा एक बच्चे को कानूनी रूप से गोद लेने या तीन महीने से कम के मामले में भी बढ़ाया जा सकता है. ।
उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में प्राथमिक स्कूल की हैडमास्ट सरोज कुमारी ने 15 अक्टूबर 2022 को बच्चे को जन्म दिया. प्रसव के बाद अस्पतालल से छुट्टी लेने के बाद सरोजकुमार ने शिक्षा विभाग से maternity leave के लिए आवेदन किया. विभाग के प्रफोर्मा के अनुसार
आवेदन में सरोजकुमारी ने विभाग से 18 अक्टूबर 2022 से 15 अप्रैल 2023 तक कुल 6 माह का अवकाश मांगा.
आवेदन के एक सप्ताह बाद ही ईटा के District Basic Education Officer ने सरोजकुमारी का आवेदन खारिज कर दिया. विभाग ने अपने आदेश में कहा कि बच्चे के जन्म के बाद याचिकाकर्ता शिक्षिका maternity leave की हकदार नही हो सकती इसलिए वह केवल child care leave के लिए आवेदन कर सकती है.