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गैंगस्टर केस के तहत अयोग्य सांसद अफजाल अंसारी की अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंजूर, लोअर कोर्ट से मांगा रिकॉर्ड

अंसारी और उनके भाई व उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत केस तब दर्ज किया गया था, जब साल 1996 में विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी नंदकिशोर रूंगटा के अपहरण में उनके नाम सामने आये थे.

Disqualified MP Afzal Ansari's appeal under gangster case approved in Allahabad High Court.

Written by My Lord Team |Published : May 29, 2023 12:15 PM IST

नई दिल्ली: गैंगस्टर केस में सांसद/विधायक अदालत के द्वारा सुनाए गए सजा के खिलाफ अफजाल अंसारी की दायर याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.जानकारी के अनुसार जस्टिस राजीव मिश्रा की पीठ ने निचली अदालत से इस केस से संबंधित रिकॉर्ड की मांग की है. सूचना के अनुसार इस मामले में पूर्व सांसद को 4 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. हाई कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई चार जुलाई को करेगा.

पूर्व सांसद के द्वारा दायर किए गए कई आवेदनों पर राज्य सरकार और शिकायतकर्ता दोनों से ही 3 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के लिए अदालत की ओर से कहा गया है.

अयोग्य सांसद घोषित

जानकारी के अनुसार, अंसारी और उनके भाई व उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत केस तब दर्ज किया गया था, जब साल 1996 में विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी नंदकिशोर रूंगटा के अपहरण में उनके नाम सामने आये थे. गौरतलब हो कि 2005 में भारतीय जनता पार्टी के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की गई थी.

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एजेंसी की खबरों के अनुसार, दोषी ठहराए जाने के दो दिन बाद अफजल अंसारी को संविधान के अनुच्छेद 102(1) (ई) आर/डब्ल्यू और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) में निहित प्रावधानों के आधार पर मामले में दोषी ठहराए जाने की तारीख से लोकसभा के सदस्य के रूप में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

बयान की अनदेखी

अंसारी ने हाई कोर्ट में दायर किए गए अपने अपील में यह दावा किया है कि उन्हें दोषी ठहराते समय ट्रायल कोर्ट ने रिकॉर्ड में उपलब्ध सबूतों और बचाव पक्ष के अपीलकर्ता के बयान की अनदेखी की है.

खबरों के मुताबिक अपील में यह भी बड़ा दावा किया गया कि ट्रायल कोर्ट ने मुख्य पूछताछ के दौरान दर्ज किए गए गवाहों के बयानों का हवाला दिया और साक्ष्य मूल्य का विश्लेषण किए बिना इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अपीलकर्ता (अंसारी) उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एंड एंटी सोशल एक्टिविटीज (रोकथाम) अधिनियम, 1986 के 3 (1) धारा के तहत दोषी है.

इतना ही नहीं हाई कोर्ट के समक्ष दायर अपील में अंसारी की ओर से यह भी कहा गया है कि "ट्रायल जज ने इस तथ्य पर भी विचार नहीं किया कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध सबूतों से उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एंड एंटी सोशल एक्टिविटीज (रोकथाम) अधिनियम की धारा 3 (1) के तहत अपीलकर्ता और जांच अधिकारी के खिलाफ स्पष्ट रूप से कोई अपराध नहीं किया गया. जब इस मामले में क्रॉस एग्जामिनेशन किया गया था उस दौरान स्वीकार किया गया कि इलाके में किसी ने भी जांच से पहले या बाद में उसके खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है."