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अवैध निर्माण मामले में 'प्रमुख सचिव' की बढ़ी मुश्किलें! स्पष्टीकरण से नाखुश इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोबारा से मांगा हलफनामा

करीब 12 साल पहले अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करने के दिए आदेश के अनुपालन नहीं होने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव के फैसले से नाराजगी जाहिर की है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : February 11, 2025 12:14 PM IST

हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार के उस हलफनामे पर गंभीर असंतोष व्यक्त किया, जिसमें राज्य के शहरी क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई के तरीके के बारे में बताया गया है. प्रमुख सचिव की ओर से दायर हलफनामा रिकॉर्ड पर लेने से कोर्ट ने इनकार करते हुए आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव से बेहतर हलफनामा पेश करने के निर्देश दिए हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह आदेश 2012 में दायर एक जनहित याचिका पर पारित किया है, जिसमें कोर्ट ने चिंता जताई कि अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है.

दोबारा से देना पड़ेगा हलफनामा

जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने 2012 में लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) अशोक कुमार द्वारा दायर एक लंबित जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया. पिछली सुनवाई के दौरान पीठ ने इस बात पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी कि राज्य और लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने उन निर्माणों के खिलाफ आगे कोई कार्रवाई नहीं की, जिन्हें लगभग 12 साल पहले अवैध घोषित किया गया था और उन्हें ध्वस्त करने के आदेश भी पारित किए गए थे. पीठ ने अवैध निर्माण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में प्रमुख सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा भी मांगा था. पिछले आदेश के अनुपालन में प्रमुख सचिव का व्यक्तिगत हलफनामा सोमवार को दाखिल किया गया लेकिन पीठ ने इसे रिकॉर्ड पर लेने से इनकार कर दिया.

स्वीकृति के अनुरूप भवन निर्माण को करें सुनिश्चित

अदालत ने हलफनामे की समीक्षा के बाद इसे अपर्याप्त पाया और राज्य के वकील को बेहतर हलफनामा दाखिल करने के लिए वापस कर दिया. साथ ही अदालत ने राज्य को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माणों के मुद्दे से निपटने के लिए एक व्यापक योजना प्रस्तुत करने का आदेश दिया. कंपाउंडिंग प्रक्रिया के तहत संरचनाओं को नियमित करने में स्वीकृत भवन योजनाओं को उसके अनुरूप निर्माण को बनाए रखना आवश्यक है और प्लिंथ स्तर तक की संरचना में भिन्नता होने पर सख्ती से निपटने के लिए एक आवश्यक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए.

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हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव का व्यक्तिगत हलफनामा राज्य के वकील को लौटाते हुए उनसे 12 फरवरी को बेहतर हलफनामा पेश करने को कहा है.

(खबर एजेंसी इनपुट के आधार पर है)