भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के संदर्भ में, यह महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि क्या पति द्वारा अपनी पत्नी के खिलाफ इच्छा के बावजूद शारीरिक संबंध बनाना एक अपराध माना जाएगा? यह सवाल इसलिए कि भारतीय कानून के अनुसार, आईपीसी की धारा 375 में रेप की परिभाषा में पति-पत्नी के बीच के संबंध अननेचुरल संबंध को 'अपराध' बनाने के लिए कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए पिछले कई मौके पर पति-पत्नी के बीच अननेचुरल सेक्स की घटना आने पर कोई कार्रवाई नहीं होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता..
हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि अबसे आईपीसी की धारा 377 के तहत पति के खिलाफ अननेचुरल सेक्स के मुकदमाओं को दर्ज किया जा सकता है. जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल ने तर्क दिया कि लिंग-योनि संभोग के अलावा अन्य यौन संबंध अधिकांश महिलाओं के लिए स्वाभाविक नहीं होते हैं और पत्नी की सहमति के बिना पति द्वारा ऐसा करना नहीं किया जा सकता.
हाई कोर्ट ने कहा,
"एक महिला को अपनी पत्नी होने के बावजूद भी अपनी यौन अभिव्यक्ति और गरिमा का व्यक्तिगत अधिकार है. यह एक मौलिक अधिकार है जिसका सम्मान किया जाना चाहिए. सहमति के बिना, पति भी अपनी पत्नी के साथ ऐसा नहीं कर सकता."
हाई कोर्ट के फैसले के बाद अननेचुरल सेक्स के मामलों में धारा 377 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के अंतर्गत यह कानूनी प्रश्न उठता है कि क्या पति द्वारा अपनी पत्नी के खिलाफ इच्छा के अनुसार शारीरिक संबंध बनाना अपराध माना जाएगा. यह प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल कानूनी दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. धारा 377 के अनुसार, जो कोई भी स्वेच्छा से किसी व्यक्ति, महिला या जानवर के साथ प्राकृतिक व्यवस्था के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाता है, उसे जीवन की सजा या दस वर्ष तक की जेल हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में इस धारा की वैधता पर विचार किया और कहा कि सहमति से शारीरिक संबंध अपराध नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दो वयस्कों के बीच सहमति से शारीरिक संबंध को अपराध नहीं माना जाएगा, लेकिन सहमति के बिना दो वयस्कों के बीच या किसी जानवर या नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध अब भी धारा 377 के तहत अपराध होगा. धारा 377 में 'शारीरिक' और 'अप्राकृतिक' शब्द महत्वपूर्ण हैं. 'शारीरिक' का अर्थ है शरीर से संबंधित, जबकि 'अप्राकृतिक' का अर्थ है जो प्राकृतिक व्यवस्था के खिलाफ है. इस धारा में 'प्राकृतिक' शब्द की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है. यह स्पष्ट है कि केवल पेनाइल-वजाइनल संबंध को ही शारीरिक संबंध नहीं माना जा सकता.