इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने अदालती फाइलों और याचिकाओं के पन्ने पलटने के लिए लार (थूक) के इस्तेमाल पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. कोर्ट ने इस प्रथा को घृणित, अस्वच्छ, और संक्रमण का कारण बताते हुए इस पर सख्त रोक लगाने का आदेश दिया है. जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह की पीठ ने 22 सितंबर को कृष्णावती और एक अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. अदालत ने फाइल हाथ में लेते ही देखा कि पेपर बुक के पन्नों को पलटने के लिए लाल रंग की लार का इस्तेमाल किया गया था. यह अक्सर तब होता है जब कोई पान या पान मसाला खाने वाला व्यक्ति लार का उपयोग करता है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि यह अनहाइजैनिक काम वकील, क्लर्क, शपथ आयुक्त या रजिस्ट्री के अधिकारियों द्वारा पेपर बुक तैयार करने के दौरान हुई होगी. कोर्ट ने टिप्पणी कहा कि यह बेहद अनहाइजैनिक स्थिति है जो न केवल घृणित और निंदनीय है. बल्कि बुनियादी नागरिक भावना की कमी को भी दर्शाती है. हाई कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर इस गंदी प्रथा पर लगाम नहीं लगाई गई. तो कागज़ों के संपर्क में आने वाले लोगों को संक्रमण हो सकता है. इसलिए इस प्रथा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
इस गंभीरता को देखते हुए, पीठ ने हाई कोर्ट की रजिस्ट्री और सरकारी कार्यालयों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं:
पीठ ने आदेश के अनुपालन के लिए अपने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी करने का भी निर्देश दिया है.