Deposit of Firearms: आम चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर इलेक्शन कमीशन ने सामान्य आदेश जारी कर फायर आर्म्स जमा कराने के आदेश दिए हैं. ये फायर आर्म्स जिलाधिकारी के सामने जमा कराना होता है. अब इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए लाइसेंसधारी हथियारों को जमा कराने पर रोक लगाया है. उच्च न्यायालय ने कहा कि सामान्य आदेश के आधार पर हथियार जमा नहीं कराया जा सकता है. हां, अगर अधिकारियों को लगता है कि सुरक्षा कारणों से किसी खास व्यक्ति से फायर आर्म्स जमा कराने की जरूरत है, तो इसके लिए विशिष्ट सूचना जारी कर सकतें है. फायरआर्म्स पर रोक लगाने के फैसले को राज्य के मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक को भेजने के आदेश दिए हैं.
जस्टिस अब्दुल मोइन ने उक्त फैसला सुनाया. राज्य के अधिकारियों को चेतावनी दिया. चुनाव आयोग के निर्देश के बाद राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने जिलाधिकारी के नेतृत्व में हर जिले में कमिटी का गठन किया है, जो फायर आर्म्स के लाइसेंस की जांच और चुनाव तक जमा करेगी.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा. राज्य चुनाव में सुरक्षा उपायों को आधार बनाते हुए लोगों से फायर आर्म्स जमा कराने के लिए नहीं कह सकते हैं.
बेंच ने कहा,
"भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अनुसार, उच्च न्यायालय के फैसले को राज्य के सभी अधिकारियों पर बाध्यकारी हैं, उन्हें बड़ी आसानी से अनदेखा किया जा रहा है."
राज्य ने कोर्ट को बताया गया. चुनाव आयोग के फैसले पर राज्य में कमिटी गठित की गई है, जो फायर आर्म्स जमा कराने से संबंधित है.
बेंच ने आगे कहा,
"भले ही समिति गठित की गई हो, लेकिन स्क्रीनिंग कमेटी के आदेश से कुछ ठोस कारण सामने आने चाहिए कि आग्नेयास्त्रों को जमा करना क्यों आवश्यक है और आग्नेयास्त्रों को जमा कराने के लिए सामान्य आदेश नहीं दिया जा सकता है."
कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी लगातार अधिकारियों द्वारा फायर आर्म्स जमा कराने के फैसले में कोई कमी नहीं आई है. अगर कुछ कारणों में अधिकारियों को लगता है, कि वे उक्त व्यक्ति से फायरआर्म्स रखने से सुरक्षा व्यवधान की उपस्थिति उत्पन्न हो सकती है, तो इसके लिए वे अलग से आदेश जारी कर सकते हैं.
बेंच ने स्पष्ट करते हुए कहा,
"यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि यदि अधिकारियों के पास लाइसेंस धारक को अपने आग्नेयास्त्र जमा कराने के लिए वैध कारण हैं, तो सक्षम प्राधिकारी उपरोक्त अवलोकन से प्रभावित हुए बिना भी इन मामलों में एक विशिष्ट आदेश पारित कर सकते हैं. "
इलाहाबद हाइकोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को आदेश दिया. रजिस्ट्री इस फैसले की कॉपी राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को भेजने के आदेश दिए हैं.