Advertisement

मेटरनिटी लीव के लिए दो साल गैप अनिवार्यता कानून के विरूद्ध, इलाहाबाद HC ने BSA रामपुर का आदेश किया खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेटरनिटी लीव से जु़डे मामले में एक अहम फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मेटरनिटी लीव से मना करने कानून के विरूद्ध है. अदालत ने सहायक अध्यापिका का मातृत्व अवकाश स्वीकार किया है.

Written by Satyam Kumar |Published : August 28, 2024 12:21 PM IST

हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेटरनिटी लीव से जु़डे मामले में एक अहम फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मेटरनिटी लीव से मना करने कानून के विरूद्ध है. अदालत ने सहायक अध्यापिका का मातृत्व अवकाश स्वीकार किया है. साथ ही नियमित रूप से वेतन का भुगतान करने को कहा है. मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) रामपुर ने याचिकाकर्ता को मेटरनिटी लीव देने मना करते हुए कहा था कि दूसरा मेटरनिटी लीव के लिए दो साल गैप चाहिए. अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस फैसले को खारिज कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को 180 दिन का मेटरनिटी लीव देने का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस प्रकाश पाड़िया ने मेटरनिटी लीव की मांग को स्वीकृति दी है. अदालत ने कहा दो साल के समय को आधार बनाकर मेटरनिटी लीव देने से मना करना गलत है. बता दें कि सहायक अध्यापिका ने याचिका में बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) के 9 अगस्त 2024 के फैसले को चुनौती दी थी.

जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि शासन के नियमानुसार, दूसरे मेटरनिटी लीव के लिए दो साल का गैप अनिवार्य है. शिक्षा अधिकारी के इसी फैसले को शिक्षिका ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

Also Read

More News

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा हाईकोर्ट ने रेणु चौधरी केस में पहले ही तय कर दिया है. इस कारण दो वर्ष की अनिवार्यता को आधार बनाकर मैटरनिटी लीव देने से इंकार करना गलत है. अदालत ने 9 अगस्त के फैसले को रद्द कर दिया है.