Advertisement

मुंबई सेक्स वर्कर रेप मामले के चारो आरोपी बरी, अदालत ने कहा कहानी में संदेह

SESSIONS COURT DINDOSHI ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में पीड़िता दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करते समय मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान में भरोसमंद और विश्वसनीय नहीं लगती है और इस प्रकार, आरोपी द्वारा जबरन यौन हमले के बारे में उचित संदेह है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : April 8, 2023 6:47 AM IST

नई दिल्ली: मुंबई की एक सत्र अदालत ने सेक्स वर्क से गैंगरेप के मामले में संदेह के आधार पर चार आरोपियो को बरी कर दिया है.

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हालांकि किसी को भी जबरदस्ती संभोग करने का अधिकार सिर्फ इसलिए नहीं है क्योंकि महिला एक सेक्स वर्कर है.

अदालत ने अपने फैसले में सेक्स वर्कर से रेप के मौजूदा मामले में अभियोजन पक्ष की कहानी को संदेह से पूर्ण बताया है.

Also Read

More News

अदालत ने कहा कि पीड़िता, जो कथित रूप से एक यौनकर्मी थी, ने अपनी शिकायत के समर्थन में विश्वसनीय या भरोसेमंद बयान नहीं दिया है.

सत्र अदालत के जज श्रीकांत भोसले ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में पीड़िता दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करते समय मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान में भरोसमंद और विश्वसनीय नहीं लगती है और इस प्रकार, आरोपी द्वारा जबरन यौन हमले के बारे में उचित संदेह है.

बचाव पक्ष की दलीले

इस मामले में चारो आरोपियोंं की ओर से अदालत में अपने बचाव में तर्क दिया कि शिकायतकर्ता एक सेक्स वर्कर है जिसे उन लोगो ने उसे काम पर रखा था.

मामले में भुगतान को लेकर विवाद हुआ तो पीड़िता ने उन पर झूठा मामला दर्ज करा दिया.

बचाव पक्ष ने कहा कि निरीक्षण परेड के दौरान पीड़िता उनमें से किसी की पहचान करने में सफल नही हो पायी, इसके बावजूद कि अभियुक्तों को घटना के दिन ही उसे दिखाया गया था.

बचाव पक्ष ने अपने पक्ष में यह भी दावा किया कि जिन दो लड़कियों ने दावा किया कि उन्होंने उसकी मदद की थी, अभियोजन पक्ष द्वारा उनकी जांच नहीं की गई.

चिकित्सकीय साक्ष्य नहीं

इस मामले पर फैसला सुनाते हुए सत्र अदालत ने कहा कि महिला के सेक्स वर्कर होते हुए भी उसके साथ जबरदस्ती संबंध बनाने का अधिकार किसी को नहीं है.

अदालत ने कहा कि अभियुक्तों के कृत्यों और उनके द्वारा बल प्रयोग के बारे में विवरण देने वाला कोई अन्य बयान नहीं था और ना ही पीड़िता को लगी चोट या रक्तस्राव के संबंध में कोई चिकित्सकीय साक्ष्य ही सामने रखा गया.

अदालत ने कहा कि चिकित्सा अधिकारी ने अंतिम राय बनाई कि 'कुल मिलाकर निष्कर्ष पुराने संभोग के अनुरूप है.

अदालत ने कहा कि इन सबूतो के अलावा आरोपियों की पहचान परेड में भी कई गलतियां की गई.

क्या है मामला

मई 2016 में मुंबई में सेक्स वर्कर ने मामला दर्ज कराया कि आरोपी एक आटो में आए और उसे जबरन उसमें बैठाकर उसका अपहरण कर लिया.

इसके बाद आरोपियों ने उसे जान से मारने की धमकी देकर एक कमरे में ले गए, उसके साथ गैंगरेप किया और अप्राकृतिक संबंध भी बनाए.

शिकायत के अनुसार चिल्लाने की आवाज सुनकर चॉल में मौजूद लोग मौके पर आ गए और आरोपी भाग गए। मौके पर आई दो लड़कियों ने पीड़िता की कपड़ों से मदद की.

इसके बाद पुलिस पहुंची और पीड़िता की शिकायत के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की। पुलिस ने एक ही दिन में चारों आरोपियों को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की.