नई दिल्ली: कोविड महामारी के बाद से देश की न्यायपालिका ने कई आधुनिक और तकनीकी सुधारों को ना केवल अपनाया हैं, बल्कि कभी जिन उपकरणों पर बैन लगाया जाता था, आज वही उपकरण देश की न्यायपालिका के सबसे बड़े साधन बन गए हैं.
कोविड ने जहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और कोर्ट की Live Streaming को प्रोत्साहित किया है, तो इसके साथ ही अब अदालतों को पेपरलेस बनाने की कवायद भी तेज हुई.
अदालतों को पेपरलेस बनाने को लेकर पिछले दस सालों में सुप्रीम कोर्ट से लेकर देश के कई हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर हुई है. कई बार इन याचिकाओं पर अदालतों ने जुर्माना भी लगाया है.
लेकिन कोविड महामारी ने देश की न्यायपालिका में रूढ़िवादी विचारों को दूर करने में अहम भूमिका निभाई है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर जैसे जजों के प्रयासों से शुरू हुआ एक नए आयामों का अध्याय वर्तमान सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ के कार्यकाल में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है.
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट ई कमेटी के तौर पर महामारी के दौरान देशभर की अदालतों के लिए जो पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए उनका असर आज खुलकर सामने हैं.
सुप्रीम कोर्ट में केस लिस्टिंग प्रक्रिया में सुधार के बाद अब सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ की नई पहल सर्वोच्च अदालत के कार्यालयों को पेपरलेस करने की है. सीजेआई ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री और कार्यालयों को पेपरलेस बनाने के लिए एक नई पॉलिसी को जारी किया है.
फिलहाल प्रथम में सीजेआई ने इस कवायद को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया है. जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री अधिकांश अपने कार्य बिना कागज के ऑनलाइन मोड के माध्यम से करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.
रजिस्ट्री से की गई इस शुरुआत में प्रथम चरण में आपस में किए जाने वाले पत्राचार, कार्यक्रमों की जानकारी सहित अन्य दैनिक फाइल कार्य भी ऑनलाइन मोड में किए जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.