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हिमाचल भवन के बाद पर्यटन विभाग के घाटे में चल रहे 18 होटल बंद होंगे बंद, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से राज्य सरकार को दूसरा बड़ा झटका

हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) द्वारा संचालित 18 वित्तीय रूप से अव्यवहारिक होटलों को 25 नवंबर तक बंद करने का आदेश देते हुए कहा कि सफेद हाथियों को बनाए रखना राजकोष की बर्बादी है.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

Written by My Lord Team |Updated : November 20, 2024 3:57 PM IST

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य के प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के घाटे में चल रहे 18 होटल बंद करने का आदेश दिया. जस्टिस अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने कहा कि एचपीटीडीसी के ये होटल 25 नवंबर तक बंद कर दिये जाने चाहिए. उन्होंने निर्देश दिया कि निगम के प्रबंध निदेशक आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे. अदालत ने कहा कि इन होटल को बंद किया जा रहा है, क्योंकि ये वित्तीय रूप से अव्यवहारिक हैं. साथ ही अदालत ने कहा कि एचपीटीडीसी को इन सफेद हाथियों के रखरखाव में सार्वजनिक संसाधनों को बर्बाद नहीं करना चाहिए. राज्य सरकार को हाईकोर्ट से यह दूसरा झटका लगा है, क्योंकि बीते कल ही हाईकोर्ट ने दिल्ली स्थित हिमाचल भवन की कुर्की करने के निर्देश दिए हैं.

पर्यटन विभाग के 18 होटल बंद होंगे!

आदेश के अनुसार, पैलेस होटल (चैल), होटल गीतांजलि (डलहौजी), होटल बाघल (दारलाघाट); होटल धौलाधर, होटल कुणाल धर्मशाला और होटल कश्मीर हाउस (धर्मशाला); होटल एप्पल ब्लॉसम (फागू), होटल चंद्रभागा (केलांग), होटल देवदार (खजियार), होटल गिरिगंगा (खड़ापत्थर), होटल मेघदूत (कियारीघाट), होटल सरवन (कुल्लू); होटल लॉग हट्स, होटल हडिम्बा कॉटेज और होटल कुंजुम (मनाली); होटल लिहागसा (मैकलोडगंज), द कैसल (नग्गर) और होटल शिवालिक (परवाणू) इस सोमवार तक बंद कर दिये जाएंगे.

राज्य के खजाने पर बेवजह बढ़ा रहे वित्तीय बोझ

अदालत ने कहा कि इन होटलों में आने वाले आगंतुकों की संख्या अदालत की अपेक्षा से बहुत अधिक निराशाजनक है, जो दर्शाती है कि एचपीटीडीसी लाभ कमाने के लिए अपनी संपत्तियों का उपयोग करने में सक्षम नहीं है. अदालत ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा कि इन संपत्तियों का संचालन जारी रहना राज्य के खजाने पर बोझ के अलावा और कुछ नहीं है. साथ ही अदालत ने यह भी आदेश दिया कि उल्लिखित संपत्तियों के रखरखाव के लिए आवश्यक कर्मचारियों को परिसर में ही रखा जाए तथा पर्यटन निगम को अपने शेष कर्मचारियों को स्थानांतरित करने की स्वतंत्रता होगी, ताकि अन्य स्थानों पर उसकी आवश्यकता पूरी हो सके. मामले की अगली सुनवाई तीन दिसंबर को होगी.

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