Advertisement

महिला अपने अधिकारों के लिए मुकदमा दर्ज करती है, पति को मानसिक प्रताड़ना पहुंचाने हेतु नहीं: Madras High Court

एक महिला की याचिका की सुनवाई के दौरान मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरई पीठ ने यह टिप्पणी की है कि एक महिला यदि कोई मुकदमा दर्ज करती है, तो आमतौर पर उसका उद्देश्य अपने अधिकारों की पुष्टि करना होता है, अपने पति को मानसिक रूप से प्रताड़ित करना नहीं।

Madras HC Madurai Bench Women Fighting a Case not to Mentally Torture Husband

Written by Ananya Srivastava |Published : July 18, 2023 10:21 AM IST

नई दिल्ली: मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) की मदुरई पीठ (Madurai Bench) ने हाल ही में एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है कि एक महिला अगर कोई मुकदमा दायर करती है तो उसका उद्देश्य अपने अधिकारों की पुष्टि करना होता है, पति को मानसिक प्रताड़ना पहुंचाना नहीं।

मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरई पीठ के न्यायदहेश आर विजयकुमार (Justice R Vijaykumar) एक निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली महिला की याचिका की सुनवाई कर रहे थे जब उन्होंने यह टिप्पणी की।

मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरई पीठ ने कही ये बात

महिला की याचिका पर सुनवाई करते और फैसला सुनाते समय अदालत ने यह कहा कि उनका ऐसा मानना है कि निचली अदालत में हुई तलाक की कार्यवाही में मानसिक क्रूरता, परित्याग के संबंध में दलीलों का अभाव है और उक्त आरोप से संबंधित पति का बयान पति के मामले का समर्थन नहीं करता है।

Also Read

More News

अदालत ने यह भी कहा है कि इस मुकदमे को दायर करने क पीछे पत्नी का उद्देश्य अपने संपत्ति से जुड़े अधिकारों का संरक्षण करना है और अपने बेटे की कस्टडी पाना है; जब इस तरह की कार्यवाही महिला के अधिकारों की पुष्टि हेतु की जाती हैं, तो यह बिल्कुल नहीं समझा जा सकता है कि ऐसा पति को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए किया जा रहा है।

जानें क्या था पूरा मामला

दरअसल यह याचिका महिला ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए दायर की थी। निचली अदालत ने यह कहा था कि पत्नी बार-बार याचिकाएं दायर करके अपने पति को परेशान कर रही थीं; पति को इन याचिकाओं की वजह से मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा था। इसी आदेश को महिला ने चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

सुनवाई के दौरान अदालत को यह भी पता चला कि पति ने अपना घर छोड़ दिया था और अपनी पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरी शादी भी कर ली थी। पति ने अपनी पत्नी पर धोखाधड़ी का इल्जाम लगाया था लेकिन वो इसे साबित नहीं कर पाए। मामला पति-पत्नी के बेटे की कस्टडी और घर की मलकीयत का था।