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18 साल से जेल में 'निर्दोष लोग' बंद हैं... 7/11 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में अपीलकर्ता के वकील ने बॉम्बे HC से कहा

दोषियों की ओर से मौजूद वरिष्ठ वकील आर. मुरलीधर मंगलवार को अपनी दलीलें जारी रखेंगे. बचाव पक्ष की दलीलें पूरी होने के बाद विशेष लोक अभियोजक राजा ठाकरे अब अभियोजन पक्ष के लिए अपनी दलीलें प्रस्तुत करेंगे. मामले की सुनवाई अब कल होगी.

बॉम्बे हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : January 13, 2025 4:16 PM IST

आज बॉम्बे हाईकोर्ट में 7/11 लोकल ट्रेन में हुए बम धमाके मामले की सुनवाई की. बहस के दौरान अपीलकर्ता (दोषियों) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एस. मुरलीधर ने अदालत में आरोप लगाया कि जांच एजेंसियां इन मामलो में आरोपी को दोषी मानकर जांच करती है, जबकि ने सभी आरोपी निर्दोष है और पिछले 18 साल से जेल में बंद है. बता दें कि 2006 में हुए इन विस्फोटों में 180 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और कई अन्य घायल हुए थे. महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में मृत्युदंड की पुष्टि के लिए अपील दायर की है, जबकि आरोपियों ने अपनी सजा के खिलाफ अपील की है.

बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की विशेष पीठ के समक्ष बहस करते हुए, आजीवन कारावास की सजा पाए दो दोषियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील एस मुरलीधर ने एक पैटर्न का आरोप लगाया, जिसमें जांच एजेंसियां आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच करते समय सांप्रदायिक पूर्वाग्रह दिखाती हैं.

11 जुलाई, 2006 को मुम्बई में हुए लोकल ट्रेन धमाकों के आरोपी पिछले 18 वर्षों से जेल में सड़ रहे हैं, जबकि उनकी बेगुनाही का दावा किया गया है. इस मामले में वरिष्ठ वकील एस. मुरलीधर ने बंबई हाईकोर्ट में दावा किया. मुरलीधर ने विशेष पीठ के समक्ष कहा कि जांच एजेंसियों में साम्प्रदायिक पूर्वाग्रह है, जो आतंक संबंधी मामलों में काम करती हैं. उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि दोषियों को बरी किया जाए और उनकी सजा को निरस्त किया जाए. उन्होंने आरोप लगाया कि जांच एजेंसी, राज्य आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने यातना के माध्यम से आरोपियों से इकबालिया बयान हासिल किए. मुरलीधर ने कहा कि 18 साल से ये आरोपी जेल में हैं, तब से वे एक दिन के लिए भी बाहर नहीं निकले हैं. उनके जीवन का अधिकांश हिस्सा खत्म हो गया है. उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक आक्रोश वाले मामलों में, जांच एजेंसी यह मानकर जांच करती है कि आरोपी दोषी हैं.

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मुरलीधर ने बॉम्बे हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि इसे सही करना चाहिए और निर्दोषों को बरी करना चाहिए. वरिष्ठ वकील ने दावा किया कि आतंकवाद से संबंधित मामलों में जांच विफल होने का इतिहास रहा है. मुरलीधर ने तर्क दिया कि आतंकवाद से संबंधित कई मामलों में, जांच एजेंसियों ने हमें बुरी तरह से विफल कर दिया है. सबसे पहले, हमने कई लोगों की जान गंवाई और फिर निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया और फिर सालों बाद, आरोपी बरी हो जाते हैं और फिर कोई भी बंद नहीं होता. उन्होंने कहा कि अदालत को वर्तमान मामले में चीजों को सही करना होगा और आरोपियों को बरी करने और उनकी सजा को रद्द करने का आग्रह किया है.

वरिष्ठ वकील मंगलवार को अपनी दलीलें जारी रखेंगे. बचाव पक्ष की दलीलें पूरी होने के बाद विशेष लोक अभियोजक राजा ठाकरे अब अभियोजन पक्ष के लिए अपनी दलीलें प्रस्तुत करेंगे. मामले की सुनवाई अब कल होगी.

क्या है मामला?

11 जुलाई 2006 को मुम्बई के पश्चिमी रेलवे मार्ग पर विभिन्न स्थानों पर सात धमाके हुए थे, जिनमें 180 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हुए थे. सितंबर 2015 में, ट्रायल कोर्ट ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराते  हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने मृत्युदंड की पुष्टि के लिए उच्च न्यायालय में अपील दायर की, जो एक अनिवार्य कानूनी आवश्यकता है. दोषियों ने भी अपनी सजा और सजा को चुनौती देते हुए अपील दायर की है.

आज की सुनवाई के दौरान अदालत को अवगत कराया गया कि 2015 से, 7/11 विस्फोट मामले से संबंधित दलीलों को 11 अलग-अलग बेंचों ने सुननाई की है, जिसपर कोई उचित फैसला नहीं आया है. इसी मामले में  2024 में, एहतेशाम सिद्दीकी, जिसे मृत्युदंड दिया गया था, ने हाईकोर्ट में एक आवेदन दायर कर हस्तक्षेप, शीघ्र सुनवाई और अपीलों के निपटारे की मांग की. वह मामला भी अभी लंबित है.