नई दिल्ली, कर्नाटक हाईकोर्ट ने वेजिटेरियन फूड को पसंद करने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया हैं कि बाजार में बेचे जाने वाली प्रत्येक खाद्य सामग्री पर वेजिटेरियन फूड या नॉन वेजिटेरियन का सिंबल लगाया जाना आवश्यक हैं और ऐसा नहीं करने पर इसे एक अपराध माना जाएगा.
जस्टिस एच बी प्रभाकर शास्त्री की एकलपीठ ने बेचे जाने वाली खाद्य सामग्री को 'वेज' या 'नॉन-वेज' और बेस्ट बिफोर के सिंबल के बिना बेचे जाने पर the Prevention of Food Adulteration Act की धारा 16(1) (a) के साथ धारा 7(i) और 7(ii) के तहत अपराध माना हैं. हाईकोर्ट ने इसके साथ ही कर्नाटक के हसन जिले के Select Coffee Works के संचालक सैयद अहमद को 6 माह की जेल और 1 हजार के जुर्माने की सजा को बरकरार रखा हैं.
मामला वर्ष 2008 का है, जब एक शिकायतकर्ता की शिकायत पर खाद्य निरीक्षक ने हसन जिले के सकलेशपुरा में अपनी ड्यूटी के दौरान, सेलेक्ट कॉफी वर्क्स पर जांच की. कॉपी शॉप पर निरीक्षक ने कॉफी बीज और उसके पाउडर का निरीक्षण किया जो सार्वजनिक बिक्री के लिए काउंटर रखे हुए थे. जांच करने पर पाया कि आरोपी ने दुकान में गलत ब्रांडेड और मिलावटी कॉफी पाउडर जमा रखने के साथ ही उस पर किसी तरह का बेस्ट बिफोर और 'वेज' या 'नॉन-वेज' को प्रदर्शित करने वाला सिंबल नही था.
वैज्ञानिक जांच और विश्लेषक की रिपोर्ट में ये सामने आया कि बरामद की गयी कॉफी के पाउडर में मिलावट थी जिसमें कैफीन की मात्रा.4% और जलीय अर्क 55.0% था. साथ ही उस पर बैच संख्या,'बेस्ट बिफोर' और 'वेज' या 'नॉन-वेज' के सिंबल नहीं दर्शाया गया था जिसके आधार पर यह गलत ब्रांडेड था.
खाद्य विभाग की शिकायत के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को the Prevention of Food Adulteration Act की धारा 16(1)(a) के साथ धारा 7(i) और 7(ii) के तहत दोषी मानते हुए उसे सजा सुनाई.
आरोपी Select Coffee Works के संचालक सैयद अहमद ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ सेशन कोर्ट में अपील दायर की. सेशन कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. जिसके बाद अहमद ने कर्नाटक हाईकोर्ट में अपील दायर कर सेशन कोर्ट के फैसले को चुनौती दी.
कर्नाटक हाईकोर्ट में दायर याचिका में याचिकाकर्ता सैयद अहमद के अधिवक्ता ने अपने तर्क में मुख्य रूप से दो बिंदुओं को सामने रखा. अधिवक्ता के अनुसार कॉफी पाउडर में कोई मिलावट नहीं कि गयी थी और ना ही Public Analyst report में यह कहा गया कि यह वस्तु स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं जिसके चलते इसे the Prevention of Food Adulteration Act की धारा 16(1)(a) के साथ धारा 7(i) और 7(ii) के अधीन नहीं रखा जा सकता.
अधिवक्ता ने दूसरे तर्क के रूप में अदालत से कहा कि याचिकाकर्ता के स्तर पर कॉफी की कोई गलत ब्रांडिंग नहीं कि गयी क्योकि आरोपी की दुकान एक छोटी सी दुकान हैं, जहां वह केवल कॉफी के बीज और कॉफी पाउडर का खुदरा विक्रेता था.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के तर्क का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि यह आवश्यक नहीं है कि the Prevention of Food Adulteration Act की धारा 16 (1) (a) के साथ धारा 7(i) और 7(ii) के तहत, एक वस्तु आवश्यक रूप से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होनी चाहिए. अधिवक्ता ने कहा कि बैच नंबर का उल्लेख न करना और कवर पर 'बेस्ट बिफोर' और 'वेज' या 'नॉन-वेज' का गैर-मुद्रण का स्वीकृत तथ्य होने के नाते स्वयं एक गलत ब्रांड हो जाता हैं.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में माना कि बेशक, बेचे गए खाद्य पदार्थ पर अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों की आवश्यकता के अनुसार लेबल नहीं लगाया गया था, जिसमें उसकी बैच संख्या, 'बेस्ट बिफोर' और 'वेज' या 'नॉन वेज' सिंबल प्रदर्शित किया गया था, जो स्पष्ट रूप से the Prevention of Food Adulteration Act की धारा 16(1)(a) के साथ धारा 7(i) और 7(ii) के तहत दंडनीय अपराध हैं.
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और सेशन कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप से इंकार करते हुए याचिकाकर्ता Select Coffee Works के संचालक सैयद अहमद के लिए 6 माह की जेल और 1 हजार रूपये की जुर्माने की सजा को बरकरार रखा हैं.हाईकोर्ट ने कहा कि उसे सेशन कोर्ट द्वारा आरोपी के खिलाफ सिद्ध किए गए अपराध की गंभीरता के अनुपात में कोई विकृति, अवैधता या त्रुटि नहीं मिलती है, इसलिए हाईकोर्ट को ट्रायल कोर्ट और सेशन कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता.
हाईकोर्ट ने इसके साथ ही आरोपी और याचिकाकर्ता कॉफी शॉप संचालक सैयद अहमद की ओर से दायर Criminal Revision Petition को खारिज करते हुए जेल की सजा भुगतने के लिए उसे 45 दिन के अंदर सकलेशपुर J.M.F.C., Civil Judge के समक्ष सरेंडर करने का आदेश दिया है.