नई दिल्ली, बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपांकर दत्ता सुप्रीम कोर्ट के जज बन गए है.सोमवार को न्यायालय समय से पूर्व सुप्रीम कोर्ट में आयोजित हुए एक सादे समारोह में सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने जस्टिस दत्ता को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. जस्टिस दीपांकर दत्ता की नियुक्ति के साथ सर्वोच्च अदालत में अब कार्यरत जजो की संख्या बढकर 28 हो गयी है.
जस्टिस दीपांकर दत्ता के नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा 26 सितंबर 2022 को की गयी थी. केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार दोपहर को अपने ट्वीटर से जस्टिस दत्ता की नियुक्ति की जानकारी साझा की.
कोलकाता हाईकोर्ट के पूर्व जज दिवंगत जस्टिस सलिल कुमार दत्ता के घर 9 फरवरी, 1965 को जन्मे जस्टिस दीपांकर दत्ता का सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर 8 साल का कार्यकाल होगा. वे 8 फरवरी 30 इस पद पर रहेंगे. जस्टिस दत्ता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अमिताव रॉय के भी करीबी रिश्तेदार हैं.
कलकत्ता यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद 16 नवंबर 1989 में वे एक वकील के रूप में रजिस्टर्ड हुए. 16 मई 2002 से लेकर 16 जनवरी, 2004 तक वह वह बंगाल सरकार के जूनियर स्टैंडिंग काउंसिल भी रहे.इसके बाद 1998 से केंद्र सरकार के काउंसिल के रूप में कार्य करना शुरू किया.
22,जून 2006 को उन्हे कलकत्ता हाई कोर्ट में स्थायी जज के तौर पर नियुक्ति दी गयी. हाईकोर्ट जज के रूप में करीब 14 साल तक सेवाएं देने के बाद 28 अप्रैल, 2020 को उन्हे बॉम्बे हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया.
देश के पूर्व सीजेआई जस्टिस यूयू ललित ने अपने 74 के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट के लिए एकमात्र जस्टिस दीपांकर दत्ता के नाम की सिफारिश ही कर पाए थे. लेकिन केन्द्र सरकार ने जस्टिस दत्ता के नाम की सिफारिश को पेंडिंग रखा.
जस्टिस दत्ता के नाम की सिफारिश किए जाने के बाद से ही केन्द्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के बीच खींचतान बढ गयी. सरकार ने जहां जस्टिस दीपांकर दत्ता के नाम लिए बगैर कॉलेजियम पर सवाल खड़े करना शुरू कर दिए. वही सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस के कौल की बेंच ने कई सख्त टिप्पणी करते हुए विधि सचिव तक को नोटिस जारी किया.
मामला तब और भी बढ़ गया जब केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू खुलकर कॉलेजियम के खिलाफ बयान देने लगे. जिसके बाद पिछले सप्ताह ही सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को स्पष्ट शब्दों में इस तरह के बयान पर सख्त आपत्ति जताई.
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के तीन दिन बाद ही रविवार के दिन जस्टिस दीपांकर दत्ता के नाम की सिफारिश को मंजूरी दी गयी. केन्द्रीय कानून मंत्री रिजिजू ने ही अपने ट्विटर पर सबसे पहले जस्टिस दत्ता की नियुक्ति की सूचना दी.
जस्टिस दत्ता के नाम की सिफारिश को मंजूर किए जाने के बाद राष्ट्रपति भवन से उनका नियुक्ति वारंट जारी किया गया. वारंट के अनुसार ‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के उपबंध (2) में प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपांकर दत्ता को भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कर रहे हैं, और उनका कार्यालय पदभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी होगा।''