नई दिल्ली: तमिल नाडु मंत्री वी सेंथिल बालाजी (V Senthil Balaji) को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) द्वारा गिरफ्तार किया गया था। उनकी जमानत हेतु उनकी पत्नी द्वारा दायर याचिका पर मद्रास उच्च न्यायालय ने 'खंडित फैसला' सुनाया है। अब इस मामले की सुनवाई एक बड़ी पीठ के समक्ष होगी।
जैसा कि हमने आपको अभी बताया, वी सेंथिल बालाजी की जमानत हेतु दायर याचिका पर मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) की न्यायाधीश निशा बानु (Justice Nisha Banu) और न्यायाधीश डी भरत चक्रवर्ती (Justice D Bharatha Chakravarthy) की पीठ ने 'खंडित फैसला' (Split Verdict) सुनाया है।
इसके बाद पीठ ने रजिस्ट्री को मुख्य न्यायाधीश के सामने मामला रखने का निर्देश दिया ताकि वह किसी अन्य पीठ के समक्ष इसे सूचीबद्ध करें।
इस मामले में जस्टिस निशा बानु का यह मानना है कि वी सेंथिल बालाजी की जमानत हेतु दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus Plea) मेंटेनेबल है और इसलिए इसे अनुमति दे दी जानी चाहिए; ईडी को पुलिस हिरासत दिलाने का जिम्मा नहीं सौंपा गया है।
बता दें कि पीठ के दूसरे जज, जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती जस्टिस बानु के फैसले से सहमत नहीं हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया है कि क्या वाकई एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका रिमांड के आदेश के बाद मेंटेनेबल हो सकती है या नहीं। उन्होंने यह भी कहा है कि मामला कुछ इस तरह बनाया गया है कि देखकर ऐसा लगे कि सेंथिल बालाजी की रिमांड अवैध हो। उनका यह मानना है कि यह याचिका खारिज की जानी चाहिए।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वी सेंथिल बालाजी की पत्नी, एस मेगल (S Megala) ने यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका 14 जून को अदालत के समक्ष दायर की थी। यह याचिका तब दायर की गई थी जब उच्चतम न्यायालय ने ईडी को बालाजी के खिलाफ अपनी जांच जारी रखने का आदेश दिया था; सुप्रीम कोर्ट की यह रूलिंग 16 मई को पास की गई थी।
समाचार एजेंसी भाषा (Bhasha) के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ‘नौकरी के बदले नकदी’ के कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में सेंथिल बालाजी को 14 जून को गिरफ्तार किया था। ईडी ने मंत्री पर 2014-15 में राज्य के परिवहन उपक्रमों में कथित ‘नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।
बालाजी पहले अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) में थे और दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की सरकार में परिवहन मंत्री थे।
उच्चतम न्यायालय ने मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से किया अनुरोध
ईडी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जो मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दे रही थी जिसके तहत वी सेंथिल बालाजी को इलाज के लिए निजी अस्पताल में शिफ्ट करने की अनुमति दे दी गई थी। इस याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने, सॉलिसिटर जनरल के बताए जाने के बाद मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सी वी गंगापुरवाला से अनुरोध किया कि वो जल्द से जल्द एक बड़ी पीठ का गठन करे जिससे जमानत वाली याचिका पर फैसला सुनाया जा सके।
उच्चतम न्यायालय ने ईडी वाली याचिका की सुनवाई की अगली तारीख 24 जुलाई तय की है।