नई दिल्ली: आठ दोषी, मर्डर एक, सजा अलग-अलग! पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) ने हाल ही में मर्डर के एक 'अजीबोगरीब' मामले में फैसला सुनाया है जिसने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) को भी दंग कर दिया है!
पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय का 'अजीबोगरीब' फैसला
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मर्डर के एक मामले में आठ दोषियों को सजा तो सुनाई लेकिन सभी को अलग-अलग सजा सुनाई है। इन आठ आरोपियों ने अवैध सभा बनाकर एक आदमी की जानलेवा हथियारों का इस्तेमाल करके हत्या कर दी।
इस मामले में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सभी आरोपियों को अलग-अलग सजा सुनाई; सबसे बड़ी सजा जिसे मिली है उसे नौ साल का कारावास मिला है और कुछ आरोपियों को बहुत कम सजा दी गई है। एक को सिर्फ ग्यारह महीनों की और कुछ को तीन साल की सजा सुनाई गई है।
सुप्रीम कोर्ट भी रह गया दंग!
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के इस फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एस रवींद्र भट्ट और न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस ऑर्डर पर हैरत व्यक्त करते हुए इसे 'बिजार' (Bizarre) बताया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि इस मामले में जिस तरह सजा सुनाई गई है वो 'अकथनीय' (inexplicable) है और इस तरह की व्यापक असमानता के लिए उच्च न्यायालय के तर्क का भी कोई मतलब नहीं बन रहा है।
उच्चतम न्यायालय ने सुनाया यह फैसला
उच्चतम न्यायालय ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के इस फैसले को खारिज करते हुए यह निर्देश दिया है कि इस मामले में सभी आरोपियों को आईपीसी की धारा 149 और धारा 304 पार्ट II के तहत दोषी करार दिया जाता है; इन सभी दोषियों की मर्डर में क्या भूमिका थी, इसे अलग-अलग समझा नहीं जा सकता है और इसलिए सुनाई गई सजा त्रुटिपूर्ण है।
इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने सभी दोषियों को पाँच साल की समान सजा सुनाई है और उन्होंने यह भी कहा है कि आरोपियों ने जो सजा पहले से काट ली है, उसके साथ खारिज जजमेंट के तहत छेड़छाड़ नहीं की जाएगी, वो वैसा ही रहेगा।